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पत्र: गृह-मन्त्रीको

अगर ये नाम स्वीकार कर लिये गये तो हमारा निवेदन है कि इससे पूर्व कि हम आयोगके सामने गवाही दें और समाजको भी उसके पास गवाहीके लिए उपयोगी जो बेशुमार तथ्य हैं, उन्हें पेश करनेकी सलाह दें, अभी जो सत्याग्रही साधारण जेलोंमें या जेलोंके रूपमें परिवर्तित खानोंके अहातोंमें सजा भुगत रहे हैं उन्हें छोड़ देना आवश्यक होगा। हमें आशा है कि सरकार इस प्रार्थनाके औचित्यको महसूस करेगी, क्योंकि हमारे लिये यह बात सर्वथा अशोभनीय होगी कि जिन लोगोंने अंशत: हमारी सलाहपर जेल- जीवनको अपनाया है वे तो वहीं पड़े रहें और हम मुक्त विचरण करें; और फिर जबकि सत्याग्रहियोंके भाई-बहन जेल-जीवनकी कठिनाइयाँ झेल रहे हों उस समय, आयोगकी जाँच समाप्त होने तक के लिए, उन्हें जेल-यात्राके लिए सामने आनसे रोकना भी हमारे लिए सम्भव नहीं होगा।

यदि आयोगमें नियुक्तिके लिए ऊपर जो नाम सुझाये गये हैं, उन्हें स्वीकार कर लिया गया और सत्याग्रही कैदियोंकी रिहाईके सम्बन्धमें हमारी प्रार्थना मान ली गई तो हम समाजको आयोगकी जाँचकी कार्रवाई तक के लिए सत्याग्रह आन्दोलन स्थगित रखनेका सुझाव देंगे। फिर, अगर सरकारने हमारे सुझाव स्वीकार करके हमारे लिए आयोगके सामने गवाही देना सम्भव कर दिया तो हमें और समाजके अन्य सदस्योंको, प्रमाण जुटाने तथा लोगोंको जाँचकी अवधि तक अपने-अपने अनुबन्धोंके अधीन काम जारी रखनेकी सलाह देनेके उद्देश्यसे, जिन जमींदारियों और कोयला-खानोंमें भारतीय लोग काम करते हैं, उनमें जानेकी पूरी छूट होनी चाहिए।

हम समझते हैं, आयोगको उन सारी शिकायतोंकी जाँच करने जैसाकि श्रीगोखलेके पत्रमें बताया गया है, जिनके कारण सत्याग्रह आन्दोलन पुनः प्रारम्भ करना पड़ा- और अपनी सिफारिशें सरकारको सेवामें पेश करनेके पर्याप्त अधिकार प्राप्त हैं।

अन्तमें, हमने समाजको जो सलाह दी है, उसे भी यहाँ लिख देनेकी इजाजत माँगते हैं। हमारी सलाह यह है कि अगर आयोगका आकार, हमने उसे जिस ढंगसे बढ़ानेका सुझाव दिया है, उस ढंगसे बढ़ा दिया गया तब तो उसका जो भी निष्कर्ष होगा उससे मजदूरों तथा अन्य लोगोंके साथ दुर्व्यवहार और सेनाकी कार्रवाइयोंसे सम्बन्धित आरोपोंके विषय में जो विवाद है उसका अन्तिम निपटारा हो जायेगा, लेकिन समाजने जिन शिकायतोंको दूर करानेके लिए प्रार्थना की है उनसे सम्बन्धित सिफारिशें वह अपनी मांगोंकी अवहेलना करके स्वीकार नहीं करेगा। अगर सरकार दुर्भाग्यवश हमारी प्रार्थना स्वीकार नहीं कर सकी तो पुनः कैदके लिए तैयार हो जानेके अलावा हमारे लिए और कोई रास्ता नहीं रह जायेगा। हम सत्याग्रही लोग सिर्फ इसलिए अपने कर्त्तव्यसे विमुख होकर हाथपर-हाथ धरे बैठे नहीं रह सकते कि हमें अपनी कैदकी अवधि समाप्त होनेसे पहले ही छोड़ दिया गया है। हम अक्सर कहते रहे हैं, और एक बार फिर कहना चाहते हैं कि सत्याग्रहियोंकी हैसियतसे हम आन्दोलनमें हड़तालीके रूपमें या अन्य किसी रूपमें भाग लेनेवाले किसी भी व्यक्तिकी ओरसे की गई हिंसात्मक कार्रवाईका समर्थन नहीं करते प्रतिशोधके तौरपर की गई हिंसात्मक कार्रवाईका भी नहीं। हमने बड़े जोरदार ढंगसे बार-बार यह सलाह दी है, और इस सलाहपर अमल भी किया गया है कि अगर सत्याग्रहके

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