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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


दक्षिण आफ्रिकी राजनयिकोंके रूपमें तो श्री एसेलेन और कर्नल वाइलीके खिलाफ हमें कुछ नहीं कहना है। प्रथम हस्ताक्षरकर्ताका श्री एसेलेन और कर्नल वाइली दोनोंसे जो व्यावसायिक सम्बन्ध रहा है, उसका स्मरण करके उसे अब भी आनन्दका अनुभव होता है। उसी प्रकार जुलू विद्रोहके दौरान जब भारतीय आहत-सहायक दलका' गठन करके उस संकट-कालमें उसकी सेवाएँ सरकारको प्रदान की गई थीं, उस समय उक्त दलके साजट-मेजरकी हैसियतसे प्रथम हस्ताक्षरकर्ताको कर्नल वाइलीके अधीन काम करनेका जो अनुभव प्राप्त हुआ, वह भी एक सुखद स्मृति ही है। अस्तु, हमें इसमें कोई सन्देह नहीं कि उनसे जहाँतक बन पड़ेगा, वे आयोगमें निष्पक्ष पंचोंकी तरह बरताव करेंगे; लेकिन हम अपने मनसे यह दुःशंका दूर नहीं कर सकते कि सामान्य मानवीय कमजोरियोंके शिकार वे भी हैं और फलतः वे भी अपनेको पूर्वगृहीत धारणाओंसे सर्वथा मुक्त नहीं कर सकते। लेकिन एक बात है : हमें इन दोनों सज्जनोंके आयोगके सदस्य नियुक्त किये जानेपर चाहे जितना खेद हो, मगर उसपर आपत्ति करनेका हमारा कोई इरादा नहीं है। किन्तु, आयोगके निष्कर्षोंपर पड़नेवाले उनके पूर्वग्रहोंके सम्भावित प्रभावको संतुलित करनेके खयालसे हमारा नम्र निवेदन है कि दक्षिण आफ्रिकाके ऐसे कुछ गण्य-मान्य सज्जनोंको आयोगके सदस्योंके रूपमें नियुक्त करना अत्यन्त आवश्यक है, जिनकी कोई ऐसी ख्याति नहीं है कि वे एशियाई-विरोधी पूर्वग्रहोंसे ग्रस्त हैं; और इस उद्देश्यसे हम माननीय सर जेम्स रोज-इन्स तथा माननीय डब्ल्यू० पी० श्राइनरके नाम सुझानेकी धृष्टता करते हैं।

हमने मुक्त होते ही, क्षण-भरकी देर किये बिना, भारतीय समाजकी भावनाको टटोलना शुरू किया, और हमें यह देखकर आश्चर्य के साथ-साथ बड़ी खुशी भी हुई कि हम समाजको क्या-कुछ सलाह देंगे, इसका अनुमान वह पहलेसे ही लगाये बैठा था, और उसने सरकारके पास इन नामजदगियोंके खिलाफ बड़े जोरदार विरोध-पत्र भी भेजे थे तथा उसे उपर्युक्त नाम भी सुझाये थे। हमने यह भी पाया कि इससे भी आगे बढ़कर विरोधके तौरपर ३६ सत्याग्रहियोंने, जिनमें से पांच औरतें थीं, नेटालसे फोक्सरस्टमें प्रवेश किया था, और उन्हें गिरफ्तार करके कैदकी सजा दी गई थी। हमें मालूम हुआ है कि अदालत में अपने बयानके दौरान उन्होंने मुख्य मजिस्ट्रेटको सूचित किया कि स्वेच्छया गिरफ्तार होने में उनका उद्देश्य आयोगको जो पक्षपातपूर्ण रूप दिया गया है, उसके खिलाफ सम्मानपूर्वक अपना विरोध प्रकट करना था; और हमने यह भी पाया कि सत्याग्रहियोंके दो और दल इसी उद्देश्यसे फोक्सरस्टके लिए प्रस्थान कर चुके थे।

अतः, हमारी स्थिति बहुत सहज और स्पष्ट थी। नेटाल भारतीय संघने आज एक सार्वजनिक सभा बुलाई थी। उस सभामें हमें आमन्त्रित किया गया था। वहाँ हमें कुल इतना ही करना पड़ा कि जो विरोध-पत्र भेजा जा चुका था, हमने सभाको उसकी संपुष्टि करनेकी सलाह दे दी और हम हर्षके साथ सूचित करते हैं कि शीघ्र ही ऐसा कर भी दिया गया । हम आशा और अनुनय करते हैं कि सरकार कृपापूर्वक इस निवेदनको स्वीकार कर जिन सज्जनोंके नाम सुझाये गये हैं, उन्हें आयोगके सदस्यके रूपमें चुन लेगी।

१.देखिए खण्ड ३, पृष्ठ १४७-५२ ।