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२०१. पत्र: गृह-मन्त्रीको

[डर्बन
दिसम्बर २१, १९१३]

महोदय,

समाचार पत्रोंसे ज्ञात हुआ है कि हमें दी गई सजाकी अवधि पूरी होनेसे पहले ही जेलसे हमारी रिहाई उस आयोगके सदस्योंकी सिफारिशका फल है जिसे नेटालमें गिरमिटिया और स्वतंत्र भारतीयोंकी हड़तालके कारणों तथा भारतीयोंसे सम्बन्धित अन्य मामलोंकी जाँचके लिए हाल ही में नियुक्त किया गया है। आयोगके सदस्यों द्वारा कि गई सिफारिशके कारणों और सरकार द्वारा उस सिफारिशके स्वीकार किये जानेकी, हम कद्र करते है, और हम हड़तालके कारणोंकी जाँचमें आयोगकी सहायता करनेके इच्छुक है। उपर्युक्त उद्देश्यसे आयोगको नियुक्तिके लिए हम कृतज्ञता प्रकट करते हैं, लेकिन हमें खेदपूर्वक कहना पड़ता है कि जबतक आगे बताई जानेवाली हमारी आपत्तियाँ सरकार दूर नहीं कर देती तबतक हम आयोगको जो सहायता दे सकते हैं, नहीं दे सकेंगे। हमने निश्चित रूपसे पता चला लिया है कि दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय समाजको आयोगमें अपनी ओरसे कोई सदस्य नामजद करनेका अवसर नहीं दिया गया। हम यह बताना चाहेंगे कि १९०७ में सत्याग्रह आन्दोलनके मूलमें आरम्भसे ही सरकारसे यह तथ्य स्वीकार कराने- की भावना रही है कि भारतीय समाजसे सम्बन्धित मामलों में उसकी इच्छाओं और भावनाओंका ध्यान रखना जरूरी है। केवल उसी हालतमें समाजसे यह अपेक्षा की जा सकती है कि वह अपनेको प्रभावित करनेवाले कानूनों या अन्य व्यवस्थाओंको खुशी-खुशी स्वीकार करे और उनका पालन करे। हमें लगता है कि आयोगके सदस्योंका चुनाव करते हुए सरकारने एक बात न करके भारी भूल की। उसने भारतीय समाजको आयोगकी सदस्यताके लिए दक्षिणके ऐसे दो गण्य-मान्य लोगोंके नाम देनेका अवसर नहीं दिया, जो, समाजके खयालसे, उसके हितोंका संरक्षण और विशिष्ट प्रतिनिधित्व करते। हमारी नम्र सम्मतिमें, भारतीय समाज द्वारा आयोगके स्वीकार किये जाने में यह एक गम्भीर और बुनियादी आपत्ति है।

इसके अतिरिक्त हम देखते हैं कि श्री एवाल्ड एसेलेन, के. सी., और कर्नल वाइलीकी नियुक्तिसे प्रकट होता है कि सरकार, पता नहीं किस कारणसे, आयोगको एक पक्षीय बनाना चाहती थी, क्योंकि हम जानते हैं कि श्री एसेलेनने बहुत जोरदार शब्दों में अपने एशियाई-विरोधी उद्गार व्यक्त किये हैं और कर्नल वाइलीने तो इससे आगे जाकर अभी हालमें भी कहा है कि भूतपूर्व गिरमि- टियोंपर लगाया जानेवाला तीन-पौंडी कर बरकरार रखा जाये। फिर, हड़तालके सिलसिलेमें सेनाने जो-कुछ किया आयोगको उसकी भी जाँच करनी होगी। हमारा विचार है कि चूंकि सेनाके साथ कर्नल वाइलीका सम्बन्ध एक जानी-मानी बात है, इसलिए स्वभावतः वे एक हितबद्ध व्यक्ति है।