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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किसीकी भी न सुनिये, बल्कि अपनी आत्माके आदेशका पालन कीजिये और बिना सोचे आगे बढ़िये। अब समय' सोचनेका है और एक बार दृढ़ निश्चय कर लेनेके बाद उसपर मृत्युपर्यन्त अटल रहिये।

प्रस्ताव

(१) नेटाल भारतीय संघके तत्त्वावधानमें नेटालके ब्रिटिश भारतीयोंकी सार्वजनिक सभा निश्चय करती है कि समाज अपने गौरवकी दृष्टिसे सरकार द्वारा हाल ही में नियुक्त किये गये आयोगके सामने बयान न दे क्योंकि आयोगके सदस्योंके चुनावमें समाजको राय नहीं ली गई और उसमें विशेष रूपसे उस समाजका प्रतिनिधित्व करनेवाला कोई भी सदस्य नहीं है जिसके हितोंपर आयोगकी जाँचोंका जबर्दस्त प्रभाव पड़ेगा।

(२) यह सभा सरकारसे सादर आग्रह करती है कि सदस्योंमें माननीय श्री डब्ल्यू० पी० माइनर और माननीय सर जेम्स रोज-इन्स, या यूरोपीय जातिके ऐसे अन्य प्रमुख लोगोंको जो दक्षिण आफ्रिकामें रहते हैं, शामिल किया जाये जिनकी नामजदगी दक्षिण आफ्रिकी भारतीय समाजको भी स्वीकार होगी।

(३) यह सार्वजनिक सभा, यदि सरकार इस भारतीय दृष्टिकोणको मान ले कि आयोगमें कुछ ऐसे सदस्य और शामिल किये जायें ताकि इसकी जाँचका जिन सबके हितोपर प्रभाव पड़ता है उन सभीको समुचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो जाये, तो वह यह भी निवेदन करती है कि वे सभी सत्याग्रही जो इस समय जेलोंमें हैं, तत्काल रिहा कर दिये जायें और भारतीय समाज अपनी ओरसे सत्याग्रहको उस समय तक के लिए स्थगित करनेको तैयार है जबतक कि आयोगकी जाँचके परिणाम प्रकाशित न हो जायें। फिर भी यदि सरकार सभाकी विनीत प्रार्थनाओंको माननेसे इनकार कर दे तो उस दुर्भाग्यपूर्ण अवस्थामें समाज तुरन्त ही नये जोश और निश्चयके साथ संघर्ष शुरू करनेको बाध्य होगा। <div style="text-align:left; margin-left:

नेटाल मयुरी, २२-१२-१९१३">[अंग्रेजीसे

१. इसके बाद फिर सभामें कैलनबैक, पोलक, रिंच और नेटालके भारतीय मिशनके अध्यक्ष रेवरैंड बैलीने भाषण दिये ।