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भाषण : सार्वजनिक सभामें


श्री एसेलेन और श्री वाइली प्रतिष्ठित सज्जन होते हुए भी सम्भवतः जाँचपर स्पष्ट प्रकाश नहीं डाल सकेंगे क्योंकि उनकी अपनी मानवीय सीमाएँ हैं और वे अपने आपको अपने एशियाई विरोधी विचारोंसे, जिन्हें वे अनेक बार व्यक्त कर चुके हैं, पृथक नहीं कर सकते। यदि सरकार भारतीयोंका प्रतिनिधित्व कर सकनेवाले लोगोंको नामजद करती, और इस प्रकार उनकी भावनाओंका आदर करती तथा जो कैदी अभी जेलमें हैं उन्हें रिहा कर देती, तो मैं समझता हूँ कि वे सरकारकी, और इसलिए साम्राज्यकी भी मददकर सकते और सम्भवतः और अधिक कष्ट सहे बिना इस समस्याको समाप्त कर सकते। लेकिन सम्भव है, उन्हें शायद अभी और कष्ट सहना पड़े। शायद उनके पाप इतने बड़े हैं कि उन्हें और अधिक तपस्या करना लाजिमी हो।

इसलिए मैं आशा करता हूँ कि आप अपने को उस पुकारकी प्रतिक्रियाके लिए तैयार रखेंगे। शायद सरकार हमारी उचित और न्यायसंगत प्रार्थनाओंको ठुकरा दे और तब फिरसे संघर्षकी गतिको बढ़ानेके लिए हमें और अधिक तपस्यामें से गुजरना होगा यहाँतक कि सरकार सेनाको यह आदेश दे दे कि वह हमें भी गोलियोंसे छलनी कर दे। मेरे दोस्तो! क्या आप इसके लिए तैयार हैं? (आवाजें: 'हाँ')। क्या आप हमारे उन देशभाइयोंके भाग्यका अनुसरण करने को तैयार हैं जिन्होंने अपने प्राण उत्सर्ग कर दिये हैं। ('हाँ' की आवाजें) तब यदि सरकार हमारी मांग पूरी न करे, तो मैं आज यह योजना प्रस्तुत कर रहा हूँ: हम सब नये सालके पहले दिन फिरसे संवर्ष करने, कैद-भुगतने और कूच करने के लिए तैयार हो जायें। (करतल ध्वनि)। शुद्धि करनेका एकमात्र तरीका यही है और यह भीतर व बाहरसे शोक मनानेका एक ऐसा ठोस ढंग है जो कि भगवान के सामने भी न्यायोचित ठहरेगा। यही सलाह हम अपने स्वतन्त्र व गिरमिटिया देशभाइयोंको देते हैं कि वे हड़ताल करें और चाहे इसका अर्थ उनके लिए मृत्यु ही हो, मुझे पूरा विश्वास है कि वह उचित क़दम होगा।

उन्होंने आगे कहा कि यदि आप शान्त जीवनको स्वीकार करते हैं, तो न केवल ईश्वरके कोपभाजन होंगे, वरन् यूरोपीय संसारके उस समूचे भागके अपमानके भी भागी बनेंगे जो ब्रिटिश साम्राज्यको बनाता है। (हर्षध्वनि)। मैं आशा करता हूँ कि प्रत्येक स्त्री, पुरुष और सयाना बच्चा संघर्ष के लिए तैयार रहेगा। मेरे विचारसे यह संघर्ष मानव स्वतंत्रताका संघर्ष है और इस प्रकार प्रत्येक व्यक्तिके अपने-अपने धर्मका भी। अतः मैं आशा करता हूँ कि लोग इसमें भाग लेते हुए अपने स्वार्थ, अपने वेतन, व्यापार बल्कि अपने परिवार और शरीरको भी परवाह नहीं करेंगे। यह मुख्यतः एक धार्मिक संघर्ष है (हर्षध्वनि); क्योंकि कोई भी संघर्ष जिसमें अपनी आत्माको स्वतन्त्रता और बलका प्रश्न हो वह एक धार्मिक संघर्ष ही हो सकता है। अतएव मैं आशा करता हूँ कि आप आह्वान किये जानेपर संघर्षमें कूद पड़ने के लिए तैयार रहेंगे और उन लोगोंकी बात नहीं सुनेंगे जो विचलित हों और जो ठहरनेको या संघर्षसे विमुख होनको कहें। यह संघर्ष ऐसा है जिसमें एक बिलकुल स्पष्ट प्रश्न अन्तहित है जो नितान्त सादा है।