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भाषण : सार्वजनिक सभामें

श्री एसेलेन और कर्नल वाइलोके सम्बन्धमें श्री गांधीने कहा कि इन दोनों सज्जनोंके अतीव सुखद संस्मरण मेरे मनमें हैं और मुझे इसमें जरा भी सन्देह नहीं कि वे आयोगमें अपना कर्त्तव्य ईमानदारीसे निभायेंगे, किन्तु वे अपनी कट्टर एशियाई-विरोधी भावनाके लिए प्रसिद्ध है; उससे ऊपर उठ सकने योग्य उदारता उनमें नहीं है। चूंकि वे आयोगके सदस्य नामजद कर ही दिये गये हैं, मैं उनकी नियुक्तिपर आपत्ति नहीं करूंगा; किन्तु भारतीय समाजके साथ न्याय करनेके लिए इतना तो होना ही चाहिए कि आयोगके निर्णयोंपर इन सदस्योंके सम्भावित कुप्रभावोंका निवारण करनेके लिए कुछ ऐसे यूरोपीय सदस्य भी नियुक्त किये जायें जिनके मनमें एशियाई-विरोधी भावना नहीं है।

जबतक सरकार यह न्यायोचित मांग नहीं मानती, हमारा आयोगको स्वीकार करना या उसकी कार्यावाहीमें मदद देना सम्भव नहीं है। हमने निश्चय किया है कि जदबतक हमारा यह निवेदन स्वीकार नहीं किया जाता, हम आयोगके सामने कोई बयान नहीं देंगे, और फिरसे गिरफ्तारी कराने और जेल जानेके लिए अपनी गतिविधियाँ जारी करेंगे।

[अंग्रेजीसे]
नेटाल मर्युरी, २२-१२-१९१३

२००. भाषण : सार्वजनिक सभाम'

[डर्बन
दिसम्बर २१, १९१३]

श्री गांधीके उठनेपर उनका हर्षध्वनिसे स्वागत किया गया और मंचके समीपके किसी व्यक्तिने उनके हाथमें एक गुलदस्ता दिया। उन्होंने इस बातका उल्लेख किया कि मैं पहले किसी भारतीय भाषामें बोलना पसन्द करता परन्तु सर्वश्री पोलक और कैलेन- बैककी उपस्थितिमें जो हमारे साथ जेल गये, मुझे आभार व्यक्त करनेके लिए पहले उसी भाषामें बोलना चाहिए जो वे जानते हैं। आप देख रहे होंगे कि जो पोशाक मैं पिछले २० वर्षोंसे पहन रहा था उसे मैंने बदल दिया है । पोषाकमें यह परिवर्तन करनेका निर्णय मैंने उस समय किया जब अपने देशवासियोंपर गोली चलनेको बात सुनी। गोली चलाया जाना उचित था या नहीं, यह अलग बात है। तथ्य यह है कि उनपर गोलियां चलाई गई और वे गोलियाँ मेरे (श्री गांधी) कलेजेको चीरती हुई निकल गई। मैं महसूस करता हूँ कि यदि उन गोलियोंमें से एक मुझे भी लगती तो कितने गौरवको

१. नेटाल भारतीय संघके तत्वावधानमें हुई एक सार्वजनिक सभामें गांधीजीने भाषण दिया था। इस सभा छ :-सात हजार लोग शामिल हुए थे जिनमें कुछ प्रमुख यूरोपीय भी थे । अध्यक्षता श्री अब्दुल कादिरने की थी।