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१९६. पत्र: कुमारी देवी वेस्टको

ब्लूमफॉन्टीन जेल,
दिसम्बर १४, १९१३

कैदीका नाम: मो० क० गांधी

संख्या: १७३९
किसको भेजा गया:
पूरा नाम : कुमारी देवी वेस्ट
पेशा: स्कूल अध्यापिका
डाकका पता: इन्टरनेशनल प्रिंटिंग प्रेस
निकटतम कस्बा: फीनिक्स, नेटाल

प्रिय देवी,

और लोग कहाँ है, यह मैं नहीं जानता, इसलिए मेरा तुम्हें पत्र लिखना ही सबसे अधिक उपयुक्त है।

मैं यहाँ बिलकुल प्रसन्न और ठीक हूँ। सालके इन दिनों में यहाँ फीनिक्सकी-सी ही गर्मी रहती है।

आशा है, तुम और दूसरे लोग स्वस्थ होंगे, और देवदास, प्रभुदास तथा अन्य लड़के फीनिक्ससे महिलाओंके चले जाने के बाद जो व्यवस्था लागू की गई थी उसका पालन कर रहे होंगे और उससे उनका विकास हो रहा होगा। देवदासने विभिन्न अवसरोंपर मुझे जो वचन दिये हैं, उसे उनकी याद दिलाना। उससे पूछना कि क्या उसे उन सबका स्मरण है। जब तुम या कोई दूसरा मुझे पत्र लिखे तो मैं चाहूँगा कि मुझे लड़कोंका दैनिक कार्यक्रम सूचित कर दिया जाये। क्या शान्ति परेशान कर रहा है ? नवीन कहना मानता है या नहीं? और क्या शिवप्रसाद और छोटू पहलेकी ही तरह चंचल और चपल हैं ? मैं आशा करता हूँ रुखी तुम्हें या मगनलालको ज्यादा परेशान न करती होगी। कृष्णा, राधा और केशू भी मेरे खयालसे बाहर नहीं है; किन्तु वे तो मगनलालके साथ रहनके आदी है, इसलिए उनके बारेमें खास पूछताछ करनेकी आवश्यकता नहीं है। मुझे आशा है, रुस्तम वेस्ट बड़ा हो रहा होगा और वह श्रीमती पाइवेल और श्रीमती वेस्टकी दृष्टिमें अब भी संसारका सबसे सुन्दर बच्चा होगा।

श्रीमती सामसे कहना कि उन्होंने श्री सामके नाम जो सन्देश भेजा था मैं उसे भूला नहीं हूँ। लेकिन वे जानती ही हैं कि मुझे उसे उनतक पहुँचानेका अवकाश या अवसर नहीं मिल पाया। किन्तु मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं है कि वे जल्दी ही श्री सामसे मिलेंगी और प्रस्तावित विवाह-सम्बन्धमेके बारेमें उनकी स्वीकृति ले लेंगी। इससे मुझे यह बात भी याद आ गई कि मुत्तुने भरसक पूरी तरह सहायता देनेका वचन दिया था और मुझे आशा है कि वे उसका पालन कर रहे होंगे।

कुमारी श्लेसिन वहाँ होंगी तो बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही होंगी।