पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/२९६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२६०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


नेटालसे सीमा पार करके ट्रान्सवालमें प्रवेश करें। ऐसा करने के अपने इरादेकी सूचना मैंने गृहमन्त्रीको काफ़ी पहले दे दी थी, और फोक्सरस्ट में प्रवासी अधिकारीसे मैंने खास तौरपर भेंट. करके उन्हें उस दिनकी तारीख भी सूचित कर दी जिस दिन मेरा इरादा सीमा पार करनेका था। मैंने सरकार और प्रवासी अधिकारी दोनोंको बताया कि ऐसा करने में मेरा इरादा सिर्फ उस तीन-पौंडी करके प्रति विरोध प्रदर्शित करनेका है जो सम्बन्धित व्यक्तियोंको बहुत भारी पड़ रहा है। मैं चाहता हूँ कि सीमा पार करनेवाले जत्थेके साथ मैं स्वयंको गिरफ्तार भी करवाऊँ। मैंने सरकार और प्रवासी अधिकारीको विश्वास दिलाया कि मेरी यह इच्छा कदापि नहीं है कि सीमा पार करनेवालोंमें से एक भी आदमी ट्रान्सवालमें रुके और वहाँ बस जाये। मैंने यह भी कहा कि चूंकि मेरे साथ सीमा पार करनेवालोंकी संख्या बहुत बड़ी है, मेरे लिए यह नितान्त असम्भव' होगा कि मैं हर समय उन्हें जहाँ-तहाँ घूमनेसे रोक सकू; इसलिए मैं चाहता हूँ कि सरकार इन लोगोंकी जिम्मेदारी ले ले। ट्रान्सवालमें इस पूरे कूचके दौरान मैने लोगोंको बराबर नियन्त्रणमें रखनेकी कोशिश की, और उन्हें इधर-उधर होनेसे रोका। मेरा दावा है कि इस फौजी दस्तेके, यदि इसे फौजी दस्ता कहा जा सके तो, एक भी भारतीयने अपना दस्ता नहीं छोड़ा। मैंने हाइडेलबर्गमें सुना था कि फोक्सरस्टमें एक अवधान-समिति (विजिलेंस कमिटी) का संगठन किया गया है जिसका उद्देश्य, मैं समझता हूँ, सरकारसे प्रवासी-कानूनपर अमल करवाना है। इसलिए इस समितिका, और मेरे तथा मेरे साथ काम करनेवालोंका उद्देश्य समान है। अदालतके माध्यमसे मैं यह आश्वासन देना चाहता हूँ कि वर्तमान आन्दोलनका यह मन्शा कदापि नहीं है कि भारतीय ट्रान्सवालमें निवासके उद्देश्यसे प्रवेश करें। अपनी समझमें मैं ईमानदारीसे यह दावा कर सकता हूँ कि ट्रान्सवालमें मेरे सम्पूर्ण सार्वजनिक जीवनके पीछे यही भावना रही है कि चोरी-छिपे प्रवेश और गैरकानूनी निवासको रोकने में मैं सरकारकी सहायता करूँ। फिर भी मैंने अपना अपराध स्वीकार किया है क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैंने बड़े पैमानेपर कानूनके उस खण्डका उल्लंघन किया है जिसके अन्तर्गत मुझपर अभियोग लगाया गया है। मैं यह भी जानता हूँ कि मैंने जो कदम उठाये है वे जबरदस्त जोखिमसे भरे हुए हैं, और जिन लोगोंने मेरी सलाह मानी है उनको व्यक्तिगत रूपसे भयंकर कष्ट उठाने पड़ेंगे, परन्तु दक्षिण आफ्रिकाके २० सालके अनुभवपर आधारित बहुत गम्भीर चिन्तनके बाद मैं इस निष्कर्षपर पहुँचा हूँ कि ऐसे कष्ट-सहनसे कम कोई भी चीज सरकार और उस संघके निवासियोंकी अन्तरात्माको नहीं हिला सकेगी जिसके कानूनोंका तथाकथित उल्लंघन करनेके बावजूद मै उसका एक समझदार और कानून माननेवाला नागरिक होनेका दावा रखता हूँ।

इसके बाद अदालत पन्द्रह मिनटके लिए स्थगित हो गई ताकि न्यायाधीश अपने निर्णयपर विचार कर लें।

वापस आनेपर श्री जूस्टने तीन महीनेकी कैदको सजा सुना दी।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २६-११-१९१३