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फोक्सरस्टमें मुकदमा


व्रतमें मैंने नींबू या नारंगीका पानी पीनेकी छूट रखी है। और ज्यादा नहीं लिख सकता।

मोहनदासके आशीर्वाद

मगनलाल के० गांधी,
फीनिक्स, नेटाल।

गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल गुजराती प्रति (एस० एन० २५३८) की फोटो-नकलसे।

१९४. फोक्सरस्टमें मुकदमा

[फोक्सरस्ट
नवम्बर १४, १९१३]

श्री गांधी अदालतमें असिस्टेंट मजिस्ट्रेट श्री जूस्टके सामने पेश हुए। उनपर प्रवासी नियमन अधिनियमके खण्ड २० के अन्तर्गत अभियोग लगाया गया था। उन्होंने अपना अपराध स्वीकार किया, परन्तु पोल्डट नामक एक सत्याग्रहीको औपचारिक गवाहके रूपमें पेश किया गया।

गवाहने कहा कि मैं बैलेनगीख खान-क्षेत्रमें काम करता हूँ और मुझे याद है कि चालू महीने में बहुत-से भारतीयोंके साथ मैंने ट्रान्सवालकी सीमामें प्रवेश किया था। पोल्डटने कहा कि श्री गांधी चार्ल्सटाउनसे जोहानिसबर्ग तक उनका नेतृत्व कर रहे थे। पोल्डटने श्री गांधीकी शिनाख्त की, और कहा कि यही नेता थे। पोल्डटने कहा, मैं जानता हूँ कि मुझे इस प्रान्तमें कोई अधिकार प्राप्त नहीं है क्योंकि मैं एक निषिद्ध प्रवासी हूँ।

श्री गांधीने कहा कि मैं गवाहसे दो प्रश्न पूछना चाहूँगा ।

पोल्डटने ट्रान्सवालमें क्यों प्रवेश किया?

पोल्डटने कहा कि मैंने तीन पौंडी करके खिलाफ विरोध-प्रदर्शनके लिए ट्रान्सवालमें प्रवेश किया।

यदि उक्त तीन पौंडी कर हटा लिया जाता तो क्या पोल्डट अपनी खानको वापस लौट जाता?

पोल्डटने कहा, हाँ; यदि सरकार तीन पौंडी कर हटानेको राजी हो जाती तो मैं वापस चला जाता।

श्री गांधीसे पूछा गया कि क्या वे कोई बयान देना चाहते हैं?

श्री गांधीने तब अदालतको सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि अभियुक्त शपथ लेकर एक बयान देना चाहता है।

मोहनदास क० गांधीने शपथ ग्रहण करने के बाद कहा:

मैं स्वीकार करता हूँ कि मैंने न केवल इस गवाहको, वरन् सैकड़ों अन्य भारतीयोंको भी, जिनके बारेमें मैं यह जानता था कि वे निषिद्ध प्रवासी हैं, सलाह दी कि वे

१. इंडियन ओपिनियनमें इस बयानको अप्रत्यक्ष शैलीमें दिया गया है। यह वक्तव्य ट्रान्सवालकी अदालतके रेकार्डसे लिया गया है ।