पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/२९४

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१९३. पत्र: मगनलाल गांधीको

डंडी जेल
मंगलवार, नवम्बर ११, १९१३]

चि० मगनलाल,

मुझे ९ माहकी जेलकी सजा हुई है। दूसरी दो जगहोंमें यदि छ:-छ: माहकी सजा हो तो कुल मिलाकर २१ माहकी हो जायेगी। ऐसा हुआ तो मैं अपनेको अत्यधिक भाग्यशाली मानूंगा। वेश बदले बिना ही सजा हो गई यह अच्छा हुआ; ज्यादा झंझटसे बच गया। हड़ताल शुरू होने के बाद आज पहला दिन है जब मुझे कुछ अवकाश मिला है। जमनादासके बारेमें कुछ खबर तो जरूर मिली होगी। मेरे नामपर जो पैसा है उसपर कहीं सरकारकी नजर न पड़े इस डरसे मैंने श्री कैलेनबैकको लिखा है कि यह पैसा तुम्हारे और वेस्टके नामपर कर दिया जाये। श्री गोखले जो पैसा भेजें उसकी भी ऐसी ही व्यवस्था करना। जो भी चैक काटे जाये उनपर तुम्हें नजर रखनी है। कुमारी श्लेसिन या अन्य जो कोई भी बाहर होगा तुम्हें हिसाब देगा। पैसेपर उमर सेठ और काछलिया सेठकी देखरेख रहनी चाहिए। जबतक हड़ताल चल रही है, खर्च ज्यादा तभी तक होगा। यदि लोग मेरी गैरहाजिरीमें भी अपना कर्तव्य बखूबी करते रहे, तो तीन पौंडी करका सवाल अवश्य हल हो जायेगा।

मेरे जेल जानेके परिणाम-स्वरूप तुम्हारे ऊपर ज्यादा जिम्मेदारी आ गई, और मैं यहाँ आराम कर रहा हूँ। लेकिन मुझे ऐसा लगा कि जेल जाते हुए अब मुझे हिचकिचाना नहीं चाहिए। आजके मामलेमें, बच निकलनके लिए, कानूनमें बहुत गुंजाइश थी। किन्तु मैं इस गुंजाइशका लाभ कैसे ले सकता था? ऐसा करता तो मोहका दोषी होता। बाहर रहकर ज्यादा काम कर सकूँगा, ऐसा सोचूं तो यह अभिमान होगा। इसीलिए मैं अपने निश्चयपर दृढ़ रहा। जेम्स गॉडफेने आग्रह किया कि उसे मेरे मामलेकी पैरवी करने दी जाये, इसलिए उन्हें वैसा करने दिया। उन्होंने कहा है कि वे मामलेकी पूरी रिपोर्ट भेजेंगे। गुरुवारके दिन मुझे डंडीसे फोक्सरस्टके मुकदमेके लिए ले जाया जायेगा।

यदि तुम मुझे कोई पत्र लिखना चाहो, तो लिखकर श्री बदातको भेजना। उस हालतमें वह सम्भवतः मुझे मिल जायेगा।

डॉक्टरने आजसे ही मेरे आहारके लिए फल आदिका हुक्म कर दिया है। इसलिए अब कोई कष्ट होनेकी सम्भावना नहीं है। कूचका विवरण लिखना सम्भव हुआ, तो लिख भेजूंगा। अद्भुत अनुभव हुआ। उससे प्रेरित होकर कल मैंने यह निश्चय किया कि जबतक कर खत्म करनेका वचन नहीं मिलता तबतक दिनमें एक ही बार खाऊँगा। अंग्रेजी तिथिकी गणनाके अनुसार चार माह पूरे हो चुके हैं। इस