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१८९. भेंट : रायटरको'

स्टैंडर्टन
नवम्बर ८,१९१३

श्री गांधी ... ने उत्तर दिया कि उन्हें विश्वास है, सरकार करको रद कर देगी। वे निश्चयपूर्वक जानते हैं कि सरकारने श्री गोखलेसे कहा था कि वह करको रद करना चाहती है।

[गांधीजीः] यदि सरकार कर दिये जानेका कोई उचित कारण बता सके तो भारतीय इसे दे देंगे। किन्तु इसे देनेका कोई उचित कारण अभी तक नहीं बताया गया है। [कूच करनेवालोंकी] भीड़ बहुत अनुशासित और पूर्णतः नियन्त्रित है।

[अंग्रेजीसे]
स्टार, ८-११-१९१३

१९०. पत्र : भारतीयोंको'

[नवम्बर ११, १९१३ से पूर्व ]

आजके जैसा संघर्ष फिर कभी नहीं छिड़नका। संघर्ष अपनी पराकाष्ठापर पहुँच गया है। गरीब गिरमिटिया भारतीयोंने अपूर्व साहस दिखाया है और असीम दुःख उठाया है। कितने लोग डेढ़ रतल रोटी और एक मुट्ठी शक्करपर निर्वाह करके रोज २४ मील पैदल चल सकते हैं ? यह काम हमारे गरीब भाइयोंने कर दिखाया है। वे घोड़ोंकी टापोंसे कुचले गये हैं। उन्होंने गोरोंके मुक्के और ठोकरें सही हैं; स्त्रियाँ दो-दो माहके बच्चोंको गोदमें लिये और गठरियां सिरपर लादे कड़ी दोपहरीमें पैदल चली है। सबको धूप, जाड़ा और वर्षाका सामना करना पड़ा है यह सब किसकी खातिर? भारतकी खातिर। इस प्रकारके बलिदानके परिणाम स्वरूप तीन-पौंडी कर तो खत्म होगा ही, साथ ही भारतका मान बढ़ेगा।

ट्रान्सवालके कूचको मैं पूर्ण रूपसे सफल मानता हूँ। उसका उद्देश्य सत्याग्रहियोंका अपने आपको गिरफ्तार कराना था और वे सबके-सब गिरफ्तार हो गये हैं।

२. गांधीजी फोक्सरस्टसे लगभग २,००० सत्याग्रहियोंके साथ स्टैंडन आये थे। जिन ८५ भारतीयोंने हेटिंगस्पूट कोषला-खदान छोड़ दी थी, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया । रापटरके एक प्रतिनिधिने गांधीजीसे मेंट की थी और यह पूछा था कि “ उनके खयालसे इस प्रदर्शनका परिणाम मया होगा?"

२. गांधीजीने अपना यह संदेश नवम्बर ११, १९१३ को डंडी जेल ले जाये जानेके पूर्व भेजा था ।