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जमानतकी दर्खास्त


उनसे दूर कर देना, और सरकार द्वारा उनके भोजन आदिके लिए प्रबन्ध न करना, मेरी रायमें एक ऐसा कार्य है जिसपर पुनर्विचार करनेपर आशा है सरकार अपना कदम वापस ले लेगी। मुझे विश्वास है कि कूचके दौरान अवांछनीय घटनाएँ हों या कोई मर जाये, विशेषतया दुधमुंहे बच्चोंवाली औरतोंमें से कोई मरे तो जिम्मेदारी सरकारकी होगी।'

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १२-११-१९१३

१८८. जमानतकी दर्खास्त

स्टैंडर्टन
नवम्बर ८,१९१३

अभियुक्तने अपना अपराध स्वीकार करनेसे पूर्व कहा कि मैं पहलेसे ही जमानतपर हूँ, और फिर प्रार्थना की कि उसकी जमानत मंजूरकी जाये। अभियुक्तने कहा, जमानतपर रिहाईकी प्रार्थनाका मेरा उद्देश्य यह है कि मैं कूच करनेवालोंको गन्तव्य स्थान तक पहुँचा सकूँ। सरकारी वकीलने कहा कि अभियुक्त यदि प्रदर्शनमें आगे भाग लेनेसे विरत न हो तो उसकी जमानत मंजूर न की जाये। अभियुक्तने कहा कि मैं यह आश्वासन देनेके लिए तैयार नहीं हूँ।'

[अंग्रेजीसे]
स्टार,८-११-१९१३

१. स्पष्ट है कि यह तार गांधीजीके जमानतपर रिहा होनेके बाद भेजा गया होगा।

२. गांधीजीपर निषिद्ध लोगोंको ट्रान्सवालमें प्रवेशके लिए उकसाने या उसमें उन्हें सहायता देनेका आरोप लगाया गया था।

३. ट्रान्सवाल लोडरमें छपी एक खबरके अनुसार जब सरकारी वकीलने गांधीजीकी जमानतकी प्रार्थनाका विरोध किया तब मजिस्ट्रेटने बताया कि कानूनमें प्रत्येक कैदी, जिसे मृत्यु-दण्ड नहीं दिया गया है, अपनी पेशीके लिए जमानतकी अनुमति दिये जानेका अधिकारी होता है और कहा कि श्री गांधीको उस अधिकारसे वंचित नहीं किया जा सकता।" तब गांधीजी ५० पौंडके मुचलकेपर छोड़ दिये गये और मुकदमा २१ तारीखके लिए मुल्तवी कर दिया गया। गांधीजी ज्यों ही रिहा किये गये, त्यों ही दलने आगे कूच किया। इससे आगेके कूचका विस्तृत आँखों देखा हाल परिशिष्ट ११ में देखिए ।