पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/२८७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१८४. भेंट : 'नेटाल मयुरी' को

[चार्ल्सटाउन
नवम्बर ५, १९१३]

श्री गांधीने खुशी-खुशी भेंट वी; किन्तु उन्हें इसके अतिरिक्त कुछ नहीं कहना था कि वे और उनके साथी अब भी कृत-संकल्प हैं और अगले दिन ट्रान्सवालमें प्रवेश करेंगे। और यदि उन्हें रोका न गया तो वे सीधे टॉल्स्टॉय फार्म पहुँचने तक बढ़ते जायेंगे। उसके बाद वे वहाँ उस समय तक शान्तिपूर्वक रहेंगे जबतक सरकारसे उनकी कोई सन्तोषजनक शर्ते तय नहीं हो जाती। कूचकी सब व्यवस्था कर दी गई है और कूचके रास्तेमें आठ विभिन्न स्थानोंमें भोजनके भण्डार खोल दिये गये हैं। श्री गांधीने कहा, हमारा उद्देश्य गिरफ्तार होना है। किन्तु हम हर काम बिलकुल खुले रूपमें करना चाहते हैं और हमने सरकारको सारी तफ़सील बता दी है।

[अंग्रेजीसे
इंडियन ओपिनियन, १२-११-१९१३

१८५. तार : गो० कृ० गोखलेको

[चार्ल्सटाउन
नवम्बर ६, १९१३ से पूर्व]

हड़ताल जारी है। सरकार सत्याग्रहियोंको गिरफ्तार नहीं कर रही है। मासिक खर्च ७,००० पौंडसे ज्यादा है। प्रतिमास सामान और नकदीके रूपमें १००० पौंड तक स्थानीय चन्दा आनेकी आशा है। मैं गुरुवारको चार हजार लोगोंको लेकर ट्रान्सवालमें जा रहा हूँ। बहुत कष्टोंका सामना करना पड़ रहा है। जो शिविर बनाये गये हैं उनमें कई बच्चे पैदा हुए हैं। कूच में दो बच्चे मरे भी।

[अंग्रेजीसे]
टाइम्स ऑफ इंडिया, ७-११-१९१३

१. गांधीजीने अन्तिम क्षण तक संघर्षको टालना चाहा । विस्तृत विवरणके लिए देखिए दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय ४३ ।

२. नवम्बर ६ ।