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१७७. तार : गृह-मन्त्रीको

[न्यू कैसिल
अक्टूबर २८, १९१३ से पूर्व]

नेटालके कोयला संघको दिया गया सरकारका जवाब पढ़ा। मन्त्रीका ध्यान श्री कालिया और सितम्बर २८ के मेरे पत्रमें उल्लिखित श्री गोखलेको दिये गये वचनकी ओर सादर आकृष्ट करता हूँ। तब कोई खण्डन नहीं किया गया। हालाँकि करको रद करनेका सवाल केवल इस समय सत्याग्रहका विषय बनाया गया है, पर निश्चय ही यह बादमें सोची गई बात नहीं है; और यह सरकारके पास मौजूद लिखित सबूतोंसे भी प्रमाणित किया जा सकता है। हमने बार बार कहा है कि गिरमिटिया भारतीय मजदूरोंका सत्याग्रहके अन्य मुद्दोंसे सम्बन्ध नहीं होगा। नेटालके स्वतन्त्र भारतीय अवश्य सामान्य माँगोंके लिए संघर्ष कर रहे हैं। विवाह, दक्षिण आफ्रिकामें जन्मे भारतीयोंका केपमें प्रवेश, प्रवासी कानून, परवाना कानून आदि प्रश्नोंका अन्य प्रान्तोंकी अपेक्षा नेटालपर ज्यादा प्रभाव पड़ता है। यह देखते हुए कि पर्याप्त समय रहते नोटिस दे दिया गया था, सरकार हड़तालकी शिकायत नहीं कर सकती। जो भी हो मन्त्रियोंसे अनुरोध है कि हड़तालको एक धमकी नहीं, बल्कि करके विरुद्ध तीव्र भावनाकी जोरदार अभिव्यक्ति मानें । सैकड़ों गरीब, असहाय और अपेक्षाकृत अज्ञानी लोग काल्पनिक और अननुभूत कष्टों अथवा अपने-आपमें गम्भीर किन्तु केवल सिद्धान्तोंपर आधारित शिकायतोंपर ध्यान नहीं देंगे। अतएव मेरा अनुरोध है कि मन्त्री महोदय करके प्रश्नपर उसके गुण-दोषोंकी दृष्टिसे विचार करें।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ५-११-१९१३

१. इसके जवाबमें सरकारने लिखा: “आपके तारके सम्बन्धमें सूचित किया जाता है कि सरकारने श्री गोखले अथवा किसी अन्य व्यक्तिको वैसा कोई वचन नहीं दिया है जैसा कि श्री गांधी कहते है कि दिया गया है।"