१७३. पत्र: मगनलाल गांधीको
[न्यूकैसिल]
आश्विन बदी ९ [अक्टूबर २४, १९१३]
चि० जमनादासकी बात मैं भूला बिल्कुल नहीं हूँ। किन्तु तबसे एक क्षणकी भी फुरसत नहीं मिली है। इसके साथ जो पत्र हैं, उनकी व्यवस्था करना। तैयब शकूरका पता तुम्हारे पास है। ठक्कर दामोदर आनन्दजी और खेतसीको भी मेरी ओरसे पत्र लिखना। उनका ठीक नाम-पता मुझे मालूम नहीं है। तुम्हारे पास है। जमनादास उनसे मिलेगा, यह भी लिखना। पत्र न लिखनेसे उनको बुरा लगेगा। [जहाज ] बेरा कब पहुँचेगा, यह पता लगाना और यह पत्र कब पहुँचेगा, यह भी देखना। यदि ऐसा लगे कि पत्र समयपर न पहुँचेगा तो बेराको कम्पनीकी मारफत तार देना। यह तार अंतर्देशीय [इन्लैंड] होता है और उसका खर्च कम लगता है। तैयब शकूरको तार देना कि वे जमनादासको उतार लें और हमारे नाम रुपया लिखकर उसे बुलावायोका टिकट दिला दें एवं राह-खर्चके लिए जितना चाहिए उतना रुपया दे दें।
न्यूकैसिलमें बहुत बड़ा काम हो रहा है। दो हजार लोगोंको पैदल ट्रान्सवालमें ले जानेकी कोशिश हो रही है। जो हो जाये, सो ठीक है। मैं कुछ [सामग्री] भेज सकूँगा या नहीं, यह कह नहीं सकता। यहाँसे तार और चिट्ठी तो मन्त्री भेजता रहेगा। मेढ यहीं हैं। प्रागजी फोक्सरस्टमें हैं। मणिलाल गिरफ्तार हो गया है। मुझे पत्र नीचेके पतेसे लिखना :
न्यूकसिल
'इंडियन ओपिनियन' की एक नकल श्री लाजारसके नामसे ऊपर दिये गये पते पर भेज देना। स्त्रियोंका ब्लाक इस अंकमें देना आवश्यक है। मुतुसे कहना। ब्लाकके सम्बन्धमें वेस्टसे कहना। उसे पत्र लिखने का अवकाश नहीं है।
गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ५९०६) की फोटो-नकलसे।
१. पत्रमें स्त्री सत्याग्रहियोंके चित्रका उल्लेख है जो ता० २९-१०-१३ के इंडियन ओपिनियनमें प्रकाशित किया गया था। तारीखका निर्णय इसी आधारपर किया गया है।
२. यह उपलब्ध नहीं है।