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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

(घ) इसके बाद उक्त फज़ल खाँ केपसे रेलगाड़ीके जरिये ट्रान्सवाल वापस आया, और उसने इस प्रान्तमें बिना किसी अड़चन या रुकावटके प्रवेश किया।

(ड़) जब वह जर्मन दक्षिण-पश्चिमी आफ्रिकामें था उसी समय फज़ल खाँके सेवा निवृत्तिका प्रमाणपत्र और कुछ अन्य ऐसे ही ढंगके कागजात गुम हो गये।

५. जिस दिन फजल खाँकी अपील खारिज की गई, जैसा अनुच्छेद ३ में कहा जा चुका है, उसके तुरन्त बाद उसे निर्वासनके लिए प्रिटोरिया जेल भेज दिया गया। परन्तु उसे जेल ले जाये जानेसे पहले उसके वकील, श्री रिचने मुख्य प्रवासी अधिकारीसे भेंट की और उससे कहा कि फजलखाँको वापस केप प्रान्त भेजा जाये। श्री रिचने उन प्रमुख मालिकोंके नाम भी बताये जिनके यहाँ फजल खाँ काम कर चुका है।

६. अगले दिन सायंकाल फजल खाँको निर्वासित करके नेटाल भेज दिया गया। उसे अपने कपड़े और अपना अन्य सामान ले सकनेका अवसर भी नहीं दिया गया और न उसके वकीलको ही कोई सूचना दी गई। नेटालसे उसे तुरन्त भारत भेज दिया गया।

७. मुझे आपका ध्यान इस बातकी ओर दिलानेको कहा गया है कि केप प्रान्तको वापस भेजे जाने सम्बन्धी फज़ल खाँके अधिकारके दावेकी कोई जाँच नहीं की गई। केपमें वह इतने वर्षों तक रह चुका था, और मेरे संघकी विनम्र रायमें उसके दावेकी जांच तो की ही जानी चाहिए थी, भले ही जांचके फलस्वरूप फज़ल खाँको ट्रान्सवालमें कुछ सप्ताह और जेलमें रखना पड़ता।

८. मेरा संघ यह भी चाहता है कि इस प्रकारके अचानक निर्वासनसे जो गम्भीर कठिनाइयाँ पेश होती है, उनकी ओर भी मैं आपका ध्यान आकर्षित करूँ। निर्वासित व्यक्तिको पैसे और कपड़ोंका प्रबन्ध करनेका अवसर नहीं दिया जाता और वे लगभग जैसेके-तैसे निर्वासित कर दिये जाते हैं। यदि खाँके वकीलको कुछ घंटे पूर्व सूचना दे दी गई होती, तो उसके मित्र उसके कपड़े और कम्बल उसे पहुँचवा देते और साथमें कुछ पैसा भी दे देते जो उसे यात्रामें सहायक होता।

९. मेरा संघ विश्वास करता है कि इस मामलेके तथ्योंकी आप पूरी जाँच-पड़ताल करेंगे और ऐसे कदम उठाये जायेंगे कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाकी पुनरावृत्ति न हो।

आपका,
अध्यक्ष,
ब्रिटिश भारतीय संघ

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५९०४) की फोटो-नकलसे।