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१७२. पत्र: गृह-मन्त्रीको

[जोहानिसबर्ग]
अक्टूबर २३, १९१३

माननीय गृहमन्त्री

प्रिटोरिया

महोदय,

मेरे संघने मुझे निर्देश दिया है कि आपका ध्यान निम्नलिखित तथ्योंकी ओर सादर आकर्षित करूँ। मेरे संघको सूचना मिली है कि :

१. सितम्बर २७को या उसके आसपास अब्दुल फज़ल खाँ' नामक एक ब्रिटिश भारतीयको जोहानिसबर्ग में १९१३ के प्रवासी कानूनके खण्ड ४ (१ क ) के अन्तर्गत गिरफ्तार किया गया। यह खण्ड इस प्रकार है : इस उप-खण्डके किसी अनुच्छेदमें वर्णित कोई व्यक्ति जो संघमें प्रवेश करता है या संघ पाया जाता है, अथवा जो व्यक्ति यद्यपि एक प्रान्तका कानूनन निवासी है, किसी दूसरे प्रान्तमें, जिसका वह कानूनन निवासी नहीं है, प्रवेश करता है या वहाँ पाया जाता है तो वह संघ या उस दूसरे प्रान्त (जिसका मामला हो) में निषिद्ध प्रवासी होगा, अर्थात कोई भी व्यक्ति या व्यक्तियोंका वर्ग-विशेष जिसे मन्त्री आर्थिक कारणोंसे, या जीवन- स्तर या रहन-सहनकी आदतोंके कारण संघके अथवा संघके किसी प्रान्त-विशेषके लिए अयोग्य समझें।

२. उक्त फज़ल खाँने स्थानीय प्रवासी अधिकारीके निर्णयके विरुद्ध अपील की और १३ अक्टूबरको प्रिटोरिया में बोर्डकी बैठकमें इस अपीलकी सुनवाई हुई और खारिज कर दी गई।

३. अपीलकी सुनवाईके समय सबूत पेश किये गये। उनको न गलत बताया गया और न उनका खण्डन किया गया। इन सबूतोंसे देखा जा सकता है कि :

(क) फजल खाँ नं० २ डिवीजनमें भारतीय ट्रान्सपोर्ट दस्तेके एक सामान्य सैनिककी हैसियतसे पहले-पहल १९०० में ट्रान्सवाल आया था।

(ख) नवम्बर १९०२में उसे अच्छी रिपोर्टके साथ सैनिक सेवासे निवृत्ति मिली और उसके बाद वह इस प्रान्तमें लगभग एक साल यानी कि १९०३ के अन्त तक रहा।

(ग) इसके बाद वह केप टाउन चला गया जहाँ उसने मेसर्स जैगर ऐंड कम्पनी, ओलसन ऐंड कम्पनी, और पीटरिन ऐंड कम्पनीके अलावा अन्य कई जगहोंपर काम किया। वह केप टाउनमें लगभग आठ या नौ साल रहा। इस बीचमें केवल कुछ महीने के लिए वह नौकरीके सिलसिले में जर्मन दक्षिण-पश्चिमी आफ्रिका गया था।

१. अंग्रेजी हिज्जेके अनुसार यह फजूला खाँ है। अनुमान है कि नाम फज़ल खौँ रहा होगा।

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