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मेंट: रेड डेली मेल' को

इन बहादुर स्त्रियोंकी, जिन्होंने कभी संकट नहीं झेले थे, और जिन्होंने कभी सार्वजनिक सभाओंमें व्याख्यान नहीं दिये थे, उपस्थितिने बिजली-जैसा काम कर दिखाया और खनिकोंने हड़ताल कर दी।

हड़ताल शुद्ध सत्याग्रहकी पद्धतिसे चलाई जा रही है और हड़तालियोंको हिदायत कर दी गई है कि वे किसी भी हालतमें बदला लेनकी भावनासे या अपनी शरीर-रक्षाके लिए शरीर-बलका प्रयोग न करें। मैं उस व्यक्तिसे मिला जिसे डैनहाँजरमें कल बड़ी निर्दयतापूर्वक पीटा गया था। उसका कहना है कि वह पानी लेने गया था और उस अहातेके एक प्रबन्धकने उसे मारा। यह व्यक्ति काफी तगड़ा है और अपनी रक्षा करने में पूर्णतया समर्थ है परन्तु उपर्युक्त आदेश जारी हो जानेके कारण उसने अपनी रक्षा नहीं की और बिना चूं किये सख्त मार सहता रहा। अब उसकी देखभाल न्यूकैसिलमें की जा रही है। अवश्य ही इस मामलेमें वह अपना बयान देगा। अलबता यह मामला अपने ढंगका अकेला नहीं है।

इस समय हम लोग मारपीट, अपमान इत्यादि सब-कुछ सहन कर रहे हैं। लोगोंसे हम हड़ताल करनेको इसलिए कह रहे हैं कि इस प्रकारके प्रदर्शनके द्वारा तीन-पौंडी करका खात्मा कराया जा सकता है। संसदके पिछले सत्रके अवसरपर यह कहा गया था कि नेटालमें गिरमिटिया मजदूरोंका उपयोग करनेवाले उद्योग-मालिकों में से अधिकांश इस करके समाप्त किये जानेके खिलाफ है। मेरा खयाल है कि इस करको हटा देनमें इन्सानियतकी जो भावना है वह इन मालिकोंके दिलोंमें एक ही तरीकेसे जमाई जा सकती है और वह यह है कि मजदूर लोग हड़ताल करें। ज्यों ही सरकार इस बातका वादा करने को तैयार हो जायेगी कि संसदके आगामी सत्रमें इस करको हटा दिया जायेगा, हड़ताली लोग कामपर जाने लगेंगे। यदि उसने इस प्रकारका वादा किया तो लॉर्ड ऍटहिलके शब्दोंमें, वह केवल अपने उस वचनको पूरा करेगी जो उसने श्री गोखलेको, मन्त्रियों और उनके बीच होनेवाले वार्तालापके अवसरपर, दिया था। मैं यह भी कह देना चाहता हूँ कि सरकार इस बातसे अनभिज्ञ न थी कि हड़ताल भी हमारे कार्यक्रमका एक अंग है। मैंने सरकारको इसी आशयका एक पत्र भी सितम्बरको भेजा था।'

[अंग्रेजीसे]
रैड डेली मेल, २३-१०-१९१३

१. देखिए “पत्र : गृह-सचिवको", पृष्ठ २०७-०८ । हड़तालकी स्थितिके बारेमें सरकारी दृष्टिकोण उस खरीतेमें सन्निहित है जो गवर्नर जनरलने उपनिवेश कार्यालयको २३ अक्टूबर, १९१३ को लिखा था। देखिए परिशिष्ट ९ ।

२. इस रिपोर्टका अन्तिम भाग रैड डेली मेलकी निम्नलिखित टिप्पणी है : .. जिन खियोंका उल्लेख ऊपर किया गया है वे न्यूकैसिलमें गिरफ्तार कर ली गई हैं। हड़ताल बढ़ती जा रही है। यह अब नेटालमें कोयलेकी खानों तक ही सीमित नहीं है बल्कि गन्नेके खेतों और चायबागानों तथा रेलवे तकमें फैलती जा रही है।"