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एक अधिकृत वक्तव्य

भारतीय क्या नहीं चाहते

भारतीय बराबरीके राजनीतिक अधिकारोंके लिए नहीं लड़ते। वे मानते हैं कि वर्तमान पूर्वग्रहको देखते हुए भारतसे आनेवाले नये प्रवासियोंकी संख्या अत्यन्त सीमित कर दी जानी चाहिए किन्तु साथमें ऐसी व्यवस्था रहे कि प्रतिवर्ष भारतीय समाजकी जो क्षति हो उसकी पूर्तिके लिए पर्याप्त संख्या में और लोग प्रवेश कर सकें।

सत्याग्रह

चूंकि प्रार्थनाओंसे, आवेदनोंसे या बातचीतसे कोई भी राहत नहीं मिल सकी, अतः १५ सितम्बरको समाजके बारह आदमी और चार औरतोंका एक जत्था फोक्सरस्टमें अपनेको गिरफ्तार करानेके लिए नेटालसे रवाना हुआ ; इस प्रकार उस दिन भारतीयोंने सत्याग्रहका आरम्भ किया।

आन्दोलन फैल रहा है। ३५ सत्याग्रही जेलमें पहुंच चुके है-यह संख्या उससे बड़ी है जो पहलेवाले दो आन्दोलनोंके आरम्भमें थी या जब १९११ के अस्थायी समझौतेके फलस्वरूप सत्याग्रह स्थगित हुआ था। प्रतिदिन बड़ी संख्या में आदमी और औरतें गिरफ्तारीके लिए आगे आ रहे हैं। कई औरतें अपने साथ बच्चोंको ले गई हैं क्योंकि वे या तो अभीतक ऊपरका दूध नहीं पीते, या उनकी देखभाल और रंगसे नहीं हो सकती। गिरफ्तारीके लिए लोग सरहद पार करते हैं या बिना परवाना फेरी लगाते हैं, या परवाना या अनुमतिपत्र दिखानेसे इनकार करते है और या अन्य ऐसे नागरिक नियमोंको भंग करते है जिनसे नैतिक नियमोंका उल्लंघन न होता हो। फ्री-स्टेटकी सरहद अछूती छोड़ दी गई है क्योंकि जहाँतक बचाया जा सके जनमतको भड़कानेका कोई मन्शा नहीं है और यह दिखानेकी पूरी इच्छा है कि भारतीय फ्री-स्टेटके पूर्वग्रहोंका आदर करना चाहते है। आन्दोलनमें यह भी होगा कि गिरमिटिया भारतीयोंको तबतकके लिए काम स्थगित करनेकी सलाह दी जाये जबतक कि तीन पौंडवाला कर हटा नहीं लिया जाता। गिरमिटिया भारतीयोंको आम संघर्ष में भाग लेनेके लिए नहीं बुलाया जायेगा। श्री गोखलेको दिये गये उस वायदेके आधारपर, जिसपर लॉर्डसभाका ध्यान लॉर्ड ऍम्टहिल द्वारा खींचा गया था, भारतीय नेताओंने इन आदमियोंको सभाओंमें हजारों लोगों के सामने आश्वासन दिया था कि संसदके विगत अधिवेशनमें कर समाप्त कर दिया जायेगा। सत्याग्रहियों की मांगों के समर्थनमें केप टाउन, पोर्ट एलिजाबेथ, ईस्ट लन्दन, वुडस्टॉक, डर्बन, मैरित्सवर्ग, टोंगाट, वेरुलम और जोहानिसबर्गमें (ट्रान्सवालके सभी मर य शहरों की ओरसे) सभाएं की गई है और इसी प्रकारकी सभाएं अन्य केन्द्रोंमें भी की जा रही है।

राहत देनेका रास्ता

यदि सरकार राहत देना चाहती है तो विवाह तथा तीन पौंडी करके मामलेमें नया कानून बनाना जरूरी होगा। बाकी सब मुद्दे बिना कानून बनाये, आसानीसे थोड़ा हेरफेर करके सुलझाये जा सकते हैं। विवाहकी समस्या प्रवासी कानूनमें संक्षिप्त संशोधन