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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

घरका सामान ठिकानेसे रखना या रखवाना। जहाँ हमारे औजार रहते हैं, वहाँ मैले, गोदड़े पड़े हुए हैं, उन्हें बाकूसे धुलवा लेना। श्रीमती सामसे उन्हें दुरुस्त करवा लेना और ठीक तह करके रखना।

लड़कोंको फिलहाल तो नाम लिखने में प्रवीण होने देना। देवी बहनके सिरसे यह बोझा आधा कम कर देना ठीक रहेगा। अन्त में तो सारा बोझा दूर कर देना है। छोटम और नवीन उसे परेशान करें तो उन्हें खींचकर अपने पास रखना। लॉर्ड ऍम्टहिल-सम्बन्धी काम तो अब तुम्हें ही करना पड़ेगा।

डर्बनमें मैने यह खबर सुनी कि पुरुषोंको फोक्सरस्टसे मैरित्सबर्ग ले जायेंगे। ऐसा हो जाये तो ठीक है। यह एक बड़ा अनुभव होगा और चूंकि रुस्तमजी सेठ वहाँ हैं ही, इसलिए मुकाबला कड़ा होगा।

मोहनदासके आशीर्वाद

[पुनश्च :]

बच्चे ३०० नाम यदि इस बार पूरे न कर सकें तो रविवार या सोमवारको उनकी सहायता करके तुम्हीं उन्हें पूरे करा देना। बद्रीके लिए मैंने एक जैकेट बनाया था; वह वहाँ होगा; उसे पोलकके पास भिजवाना है।

रुस्तमजी सेठकी ओरसे दिये गये दो मुख्तियारनामे वहाँ हैं। उनमें सोमवार, फीनिक्सको तारीखमें तुम अपनी और देवी बहनकी गवाही भरकर सुरक्षित रखना। बने तो उन्हें फाइल करा देना। अन्यथा जब मैं आऊँगा, करूंगा।

गांधीजीके स्वाक्षरों में पेंसिलसे लिखी मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ५६४९) से। सौजन्य : श्री राधाबहन चौधरी।

१४४. पत्र : दक्षिण आफ्रिकी रेलवेको

[जोहानिसबर्ग]
सितम्बर २७, १९१३

सेवामें

जनरल मैनेजर
दक्षिण आफ्रिकी रेलवे

[ महोदय,]

मैं दो अन्य भारतीयों के साथ गुरुवारको काफिर मेलसे, डर्बनसे ट्रान्सवाल जा रहा था। हम सब तीसरे दर्जे में यात्रा कर रहे थे। हम गलियारेवाले एक तीसरे दर्जे के डब्बे में बैठे थे। ये डब्ने सामान्यतः नेटालकी गाड़ियोंमें लगाये जाते हैं। जिस डब्बेमें हम बैठे थे उसमें मेरे साथियों को और मुझे एक कंडक्टरने बिठाया था। लेडीस्मिथ स्टेशनपर एक नया कंडक्टर आया और मुझसे बोला कि हमें अपना डब्बा छोड़कर दूसरे डब्बे में जाना पड़ेगा। कारण पूछनेपर मुझे बताया गया कि जिस डब्बेमें हम बैठे