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स्वर्गीय श्री हुसेन दाउद


आपने हमें सूचित किया कि आप ऐसा करनेसे तो हमें रोकेंगे, किन्तु जबतक सरकारसे कोई आदेश प्राप्त नहीं हो जाता तबतक हमें हिरासतमें नहीं रख सकते।

अतः, अब मैं आपको सूचित करता हूँ कि यदि आपने हमारे दलको अपने अधिकार में नहीं ले लिया तो सोमवारको काफिर-मेलसे हम जोहानिसबर्गके लिए प्रस्थान कर देंगे। और यदि आपने उस अवसरपर हमें जबरदस्ती रोकनकी कोशिश की तो सत्याग्रही होने के नाते उस समय तो हम मान जायेंगे, किन्तु यदि उसके बाद आपने हमें मुक्त कर दिया और गिरफ्तारी आदिसे पकड़कर रोक नहीं रखा तो हम किसी और साधनसे अपनी यात्रा जारी रखेंगे।

बादमें फोक्सरस्टसे आये तारोंसे मालूम हुआ है कि इस नोटिसका जादूका-सा असर हुआ। सोमवारको १० बजे नेटालकी सीमापर सारे दलको निर्वासित कर दिया गया। इस निर्वासनका अर्थ सिर्फ इतना ही होता है कि निर्वासित किये जानेवाले लोगोंको एक छोटी-सी उयली नदीके बीचकी एक [काल्पनिक] रेखाके पार कर दिया जाता है। सो दलको निर्वासित करके निर्वासन अधिकारीने अभी अपनी पीठ फेरी नहीं थी कि सभी सत्याग्रही सीमाका उल्लंघन करके फिर इस पार आ गये और गिरफ्तार कर लिये गये। वहाँसे उन्हें सीवे चार्ज ऑफिस (अभियोग कार्यालय) ले जाया गया।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २४-९-१९१३

१३८. स्वर्गीय श्री हुसेन दाउद

हम बड़े दुःखके साथ युवक हुसेन दाउदके निधनका समाचार दे रहे हैं। वे बहुत दिनोंसे बीमार थे; और यद्यपि उन्हें अत्यन्त दक्ष डॉक्टरी सहायता तथा एक स्नेहमय पिताकी निरन्तर निष्ठापूर्ण शुश्रूषाका लाभ प्राप्त था, फिर भी वे सोमवारकी रातको चल बसे। हमारा विचार है कि श्री हुसेन में दक्षिण आफ्रिकाका एक महानतम भारतीय बनने की सम्भावनाएँ विद्यमान थीं। हम संतप्त परिवारके प्रति समवेदना प्रकट करते हैं। अगले अंकमें हम मृतात्मापर एक विशेष स्मरण-लेख' और उनका एक चित्र देनेकी आशा करते हैं। चूंकि यह अंक खास तौरसे सत्याग्रह आन्दोलनके समाचार देनेके लिए प्रकाशित किया जा रहा है, इसलिए इसमें स्मरण लेख देना सम्भव नहीं है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २४-९-१९१३

१. देखिए " स्वर्गीय श्री हाजी हुसेन दाउद मुहम्मद ", पृष्ठ २१५-१७ ।