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१३७. फोक्सरस्ट के सत्याग्रही

पिछले हफ्ते हमने समाचार दिया था कि सत्याग्रहियोंसे कहा गया है कि प्रिटोरियासे वारंट आ जानेपर उन्हें निर्वासित कर दिया जायेगा। अब जो ज्यादा विस्तृत विवरण मिला है, उससे पता चला है कि पिछले गुरुवारको प्रवासी-अधिकारीने दलके प्रवक्ताको बुलाकर उससे कहा कि प्रिटोरियासे मुझे इस आशयका आदेश आया है कि आप सबको कानून द्वारा निर्धारित फार्म भरनेके लिए दे दिया जाये। प्रवक्ताने कहा कि मुझे खेद है कि हमारा दल इस अनुरोधको स्वीकार नहीं कर सकता। तब क्या वे परीक्षामें बैठेंगे? [अधिकारीके इस प्रश्नके] उत्तरमें प्रवक्ताने कहा कि हम वह भी नहीं कर सकते।

'तब आप सब निषिद्ध प्रवासी हैं"- ऐसा कहते हुए अधिकारीने सबके नाम जारी किये गये एक मुकर्रर ढंगके नोटिस उसके हाथमें थमा दिये और फिर सबको अपने निर्णयसे अवगत कराकर कहा कि आप तीन दिनके अन्दर इस निर्णयके विरुद्ध अपील-निकायमें अपील कर सकते हैं। किन्तु, प्रवक्ताने बताया कि दल अपील करना ही नहीं चाहता। तब अधिकारीने कहा कि उस हालतमें वारंट आ जानेपर सबको निर्वासित कर दिया जायेगा। इसपर प्रवक्ताने कहा कि हम लोगोंको हिरासतमें ले लिया जाये, क्योंकि हम नहीं चाहते कि हम मुक्त रहकर भी अपनी यात्रा जारी न रख सकें। किन्तु अधिकारीने कहा कि मैं आप लोगोंको हिरासतमें नहीं ले सकता। दूसरे दिन दलने अधिकारीको सूचित किया कि यदि हमें हिरासत में नहीं ले लिया जाता तो हम जोहानिसबर्गके लिए प्रस्थान कर देंगे।

अधिकारीने कहा कि “तब मैं आप लोगोंको रोकूँगा, किन्तु जेलमें नहीं डालूंगा।" इसपर प्रवक्ताके हस्ताक्षरसे अधिकारीको निम्नलिखित पत्र भेजा गया:

मुझे और मेरे साथियोंको आपने गत मंगलवार, तारीख १६ से जोहानिसबर्ग यात्रापर आगे बढ़नेसे रोक रखा है। मैंने आपसे उसी समय कहा था कि यदि आप हमें रोकना या गिरफ्तार करना चाहते हैं तो हमें जेलमें रखकर ही वैसा कर सकते हैं, क्योंकि हम अपने फोक्सरस्टवासी मित्रोंके लाख आग्रह करनेपर भी उनके घर नहीं टिकना चाहते। किन्तु आपने कहा कि इतने बड़े दलके लिए आपके पास पुलिस चौकीम जगह नहीं है, इसलिए सरकारसे इस सम्बन्धमें कोई आदेश प्राप्त होने तक हम बाहर ही रहें। आप यह तो मानेंगे ही कि आपको आदेश प्राप्त करनेका समय देनेके लिए हम काफी इन्तजार कर चुके हैं।

शुक्रवारको जब मैंने आपसे यह कहा कि यदि आप हमें हिरासतमें नहीं रख सकते तो हम अपने-आपको जोहानिसबर्ग प्रस्थान करनेके लिए स्वतंत्र समझेंगे, तब

१. सितम्बर १८

२. छगनलाल गांधी।