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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


अपने-आपको एक बाड़े में बन्द हो जाने दें और तब हम सत्याग्रह न करनेके पुरस्कारके रूपमें प्राप्त इस कृपाके लिए सरकारको धन्यवाद दें वह सत्याग्रह न करनेके लिए, जिसमें किसी अन्यके लिए नहीं, बल्कि हमारे लिए ही कष्ट है; किन्तु जिससे यदि कोई दूसरी वस्तु नहीं मिलती तो कमसे-कम हमारे पुंसत्वकी रक्षा तो होती ही है।

आपका
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
नेटाल मर्युरी, २५-९-१९१३

१३६. पत्र: गृह-सचिवको

[डर्बन]
सितम्बर २२,१९१३

प्रिय श्री जॉर्जेस,

आपने विवाह सम्बन्धी प्रश्नपर इसी १९ तारीखको जो पत्र लिखा है उसके लिए मैं आपका बहुत कृतज्ञ हूँ। मैंने अपनी मूल माँगको अधिक व्यापक नहीं करना चाहा है। तथापि में स्थितिको फिरसे यथासम्भव स्पष्ट करनेका प्रयत्न करूँगा।

निवेदन यह है कि अगले अधिवेशन में संसदसे उन एकपत्नीक विवाहोंको वैध करार देनेवाला अधिकार प्राप्त कर लिया जाना चाहिए जो गैर-ईसाई भारतीयोंके बीच भारतीय पुरोहितों द्वारा सम्पन्न हुए हैं या अब आगे सम्पन्न होंगे। कानून बनाना केवल इसलिए आवश्यक हो गया है कि नये अधिनियमकी विवाह-सम्बन्धी धारा पूरी स्थितिपर विचार किये बिना जल्दीमें तैयार की गई थी। दक्षिण आफ्रिकामें विवाहित भारतीय स्त्रियोंका दर्जा रखेलोंका हो गया है और उनके बच्चे अपने माँ-बापके वैध उत्तराधिकारी नहीं बचे हैं। जो राहत अब मांगी जा रही है यदि वह शीघ्र ही नहीं दी जाती तो यह स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी। मेरी समझसे श्री सर्लके निर्णय, तथा नेटाल सर्वोच्च न्यायालयके मास्टरकी कार्रवाई और जस्टिस गार्डिनरके निर्णयका सम्मिलित प्रभाव यही होता है। मैंने अगले अधिवेशन में स्थितिमें सुधार करनेका वचन देने की प्रार्थना की है, क्योंकि मेरी नम्र रायमें यह मामला अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। बहुपत्नीक विवाहके सम्बन्धमें मैंने कानूनी मान्यताकी मांग नहीं की है। बल्कि केवल यह कहा है कि सरकार उनके कानूनी दर्जेको किसी भी तरह मान्य न करे, किन्तु मन्त्री महोदय अपने अधिकारोंके अन्तर्गत एकाधिक पत्नियोंको प्रविष्ट होने दें। प्रवेशकी अनुमति केवल उन्हीं भारतीयोंकी एकाधिक पत्नियोंको दी जाये जिनका विवाह पहले ही हो चुका है और जो अब असन्दिग्ध रूपसे संघके

१.देखिए पृष्ठ १७६ पाद-टिप्पणी २ ।

२. देखिए " विवाहके बारेमें एक महत्त्वपूर्ण फैसला", पृष्ठ १७२ ।