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पत्र : 'नेटाल मक्युरी'को


या पत्रों द्वारा स्थानीय सरकार और साथ ही बड़ी सरकारको भी भेजा जाना चाहिए।

५. संघर्षका स्वागत करनेवाले तार [ब्रि० भा० संघको भेजना चाहिए।

६. जहाँ सभाएँ नहीं हो सकतीं ऐसे स्थानोंसे संस्थाओं द्वारा तार और पत्र सरकारको भेजना चाहिए।

७. अपने गांवके गोरे निवासियोंके साथ इस सम्बन्धमें चर्चा करनी चाहिए और उन्हें इं० ओ० के संघर्ष सम्बन्धी अंक देकर जानकारी देनी चाहिए।

८. हरएक भारतीयको प्रमाद छोड़कर इस बातकी जानकारी कर लेनी चाहिए कि यह संघर्ष किसलिए चल रहा है और उसका हेतु क्या है?

९. संघर्ष सम्बन्धी इं० ओ० के अंकोंकी प्रतियाँ भारत और विलायतमें विभिन्न स्थानोंपर भेजना चाहिए।

१०. लन्दन समितिके लिए चन्दा इकट्ठा करने में मदद करना चाहिए।

११. प्रत्येक भारतीयको चाहिए कि वह संघर्ष के निमित्त अपना कोई-न-कोई समय दे और उस समयमें संघर्ष सम्बन्धी कुछ-न-कुछ कार्य करे। इन कार्यों में से बहुत-से काम प्रत्येक भारतीय व्यक्ति और संस्था कर सकती है। इनमें जितना कुछ किया जा सके उतना प्रत्येक व्यक्ति और संस्थाको करना चाहिए। अभी तुरन्त और अनायास जो किया जा सकता है वह यह है कि स्थान-स्थानपर सभाएं की जायें, प्रस्ताव पास किये जायें और उन्हें दोनों सरकारोंके पास भेज दिया जाये।

[गुजरातीसे]<br< इंडियन ओपिनियन, २०-९-१९१३

१३५. पत्र: 'नेटाल मर्युरी' को'

[ डर्बन]
सितम्बर २१, १९१३

महोदय,

आपने अपने गत शनिवारके अंकमें भारतीय स्थतिपर अपने प्रिटोरियाके संवाददातासे प्राप्त जो विशेष लेख छापा है उससे यह पता चलता है कि उसके लेखकको इस सम्बन्धमें “जानकारी" है। इसलिए इसे जनता सरकारकी ओरसे की गई एक महत्वपूर्ण घोषणा मानेगी। इस कारण आप मुझे कदाचित् उसकी कुछ अत्यन्त स्पष्ट भूलें सुधारनेकी अनुमति देंगे। लेखकका कहना है कि सरकारने चार विवादग्रस्त बातोंमें से दो मान ली हैं। यह बात केवल अंशतः ही सत्य है। फ्री स्टेटकी कठिनाई

१. स्पष्ट है कि गांधीजीने इस पत्रकी एक नकल इसके साथ-साथ इंडियन मोपिनियनको भी भेजी थी जिसमें यह २४ सितम्बरके कमें प्रकाशित किया गया था ।