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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


नहीं है। तुमने हजारों पढ़े-लिखे लोगोंकी बुद्धिकी मन्दताका विचार ही नहीं किया, इसलिए मैं [ अपनी बात ] किससे कहूँ और क्या कहूँ ? तुमने ऐसी कोई चीज सीखी ही नहीं जिससे तुम्हारा मनोबल पुष्ट होता। जहाँ परीक्षा पास करना ही उद्देश्य हो जाता है वहाँ परिणाम बुरा होगा ही। यह बात श्री रानडेने ३० वर्ष पहले कही थी। जरा सोचो तो कि सामान्य बी० ए० पास लोगोंका क्या हाल है। बड़ी-बड़ी परीक्षाएँ पास करने के बाद यदि तुम्हारा शरीर रोगी अथवा मन निर्बल हो गया तो तुम क्या कर सकोगे। क्या तुमने कभी बारीकीके साथ इस बातका अवलोकन किया है कि तुम्हारे आसपास क्या हो रहा है।

बा, रामदास, काशी, सन्तोक, छगनलाल, कबु, गोविन्दु', रेवाशंकर, शिवपूजन, रावजीभाई, मगनभाई, सैम, सेठ रुस्तमजी, सॉलोमन', आदि जेल जानेके लिए निकल पड़े। मंगलवारके दिन उन्हें फोक्सरस्टमें गिरफ्तार किया गया। यह पत्र में गुरुवारके सवेरे लिख रहा हूँ। कल क्या हुआ इसका तार अभी नहीं आया है। देवदास फीनिक्स में है। वह बहुत कार्यकुशल हो गया है। मैं सवेरे ३-३० पर उठता हूँ। देवदास ४-३० पर उठता है। ५ बजेसे पढ़ना और अन्यान्य कार्य शुरू हो जाते हैं। उसका शरीर भी इस बीचमें कुछ पुष्ट हुआ है। इस कार्यक्रममें फर्क तो होता ही रहता है। अभी जो लड़के यहाँ हैं वे रविवारके सिवा बाकी दिनों हमेशा अलोना खाते हैं। वे संघर्षकी अवधि तक यह नियम पालते रहनेका इरादा रखते हैं। बच्चोंकी देखभाल मगनलाल और मिस वेस्ट' करेंगे। मैं शनिवारको जे० बी० [जोहानिसबर्ग] जाऊँगा। तब जोहानिसबर्गवाले गिरफ्तार होने की कोशिश करेंगे। मेरी कोशिश सबके अन्त में गिरफ्तार होनेकी रहेगी। मैंने गिरफ्तार होनेकी युक्ति ढंढ़ निकाली है। उसमें जरा ज्यादा हिम्मतकी जरूरत है। ईश्वर मुझे वह हिम्मत दे. - मनमें ऐसी रटन निरन्तर चलती रहती है। मणिलाल जे० बी० में है; वह इस समय कठिन व्रत पाल रहा है और इस प्रकार प्रायश्चित्त कर रहा है। वह जे० बी० से जेल जायेगा। जेल जानेके विचारसे बाके साथ जेकी' भी गई है। जेकीने भी अपना जीवन बिल्कुल बदल डाला है। मेढ़ और देसाई भी जे० बी० में हैं। जमनादास जेल जानेके लिए अधीर हो रहा है। मैं बहुत करके उसे आनेका तार करूँगा। अभी निश्चय नहीं किया। मैने तुमसे अपने परीक्षापत्र भेजनके लिए कहा था, वे तुमने भेजे नहीं है, यह याद रखना।

१. फीनिक्स प्रेसमें एक कम्पोजीटर ।

२. रतनसी सोढाके पुत्र ।

३. जोजेफ़ रायप्पनका भतीजा सॉलोमन रायप्पन जो १९१२ में शिक्षित भारतीयों के नाते प्रवेश पानेवालों में से एक था ।

४. मामलेका निर्णय २३ सितम्बरको हुआ था और सभी १६ मत्याग्रहियोंको ३-३ महीनेकी सख्त सजा दी गई थी।

५. ए० एच० वेस्टकी बहन कुमारी एडा वेस्ट ।

६. वास्तव में गांधीजी गुरुवार २५ सितम्बरको डर्बन रवाना हुए ।

७. जयकुँअर, डॉ. प्राणजीवन मेहताकी पुत्री ।