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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


व्यक्तिगत तौरपर पत्र-व्यवहार भी किया था और उनसे सत्याग्रहियोंकी माँगे स्वीकार करनेका अनुरोध किया था।

भारतीयोंके उद्देश्यके लिये की गई श्री मिलीगनकी सेवाओंसे भारतीय अच्छी तरह परिचित हैं। उन्होंने 'मक्युरी' की सर्वोत्तम परम्पराओंका निर्वाह किया और जिस पदकी प्रतिष्ठा स्वर्गीय सर जॉन रॉबिन्सन' और स्व० श्री रैमसे कॉलिन्सने बढ़ाई थी उसका योग्यतापूर्वक निर्वाह किया; यह कोई सरल कार्य नहीं था। प्रवासी अधिकारियोंकी मनमानीके बारेमे मृतात्मा द्वारा अपने पत्रमें लिखा एक मर्मवेधी अग्रलेख हमने अभी पिछले हफ्ते ही उद्धृत किया था। वे प्रत्येक न्यायपूर्ण लक्ष्यकी हिमायतमें अपनी लेखनीका उपयोग करनेके लिए सदा तत्पर रहते थे।

ऐसे व्यक्तियोंके देहावसानसे दक्षिण आफ्रिकाने, निश्चय ही, बहुत-कुछ खो दिया है। और इस क्षतिकी पूर्ति करना कठिन होगा। हम मृतात्माओंके परिवारोंके प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं।

[अंग्रजीसे]
इंडियन ओपिनियन ३०-८-१९१३

१२१. विवाहके बारेमें एक महत्वपूर्ण फैसला

बाई मंछी नामकी एक भारतीय स्त्रीको, जो अपने पतिके साथ [ केप कालोनी में ] प्रवेश कर रही थी, प्रवासी अधिकारीने प्रविष्ट नहीं होने दिया। इसके निषेधमे उसके पति भगवान भीखाने, उसको केपमें उतरने देनेकी [ सर्वोच्च न्यायालयसे] आज्ञा [इंटर- डिक्ट] हासिल कर ली। चूंकि उनका भारतमें सम्पन्न विवाह अमान्य कर दिया गया था, वकीलने उसे बाई मंछीके साथ यहाँ विवाह कर लेनेकी राय दी। जब वकीलने मजिस्ट्रेटको इस सम्बन्धमें पत्र लिखा, तब मजिस्ट्रेटन उत्तरमें लिखा कि इस विवाहकी रजिस्ट्री नहीं की जा सकती, क्योंकि वह स्त्री निषिद्ध प्रवासी है। इसपर उस स्त्रीके पतिने अपील दायर की। न्यायमूर्ति गाडिनरने गत सप्ताह उसके पक्षमें अपना निर्णय दिया। न्यायाधीशने कहा कि कानूनके अन्तर्गत किसी भी व्यक्तिके विवाहकी रजिस्ट्री की जा सकती है। दोनों पक्षोंको महज़ इतना साबित कर देना है कि जो कानन यहाँ प्रचलित है उसकी रू से वे दोनों विवाह करनेके अधिकारी है। कोई व्यक्ति निषिद्ध प्रवासी है या नहीं यह प्रश्न विवाहके समय उठाया ही नहीं जा सकता इसलिए मजिस्ट्रेटको यह आदेश दिया गया है कि स्त्रीके वैध या अवैध [प्रवासी] होने का सवाल उठाये बिना विवाहकी रजिस्ट्रीकी अनुमति दे दी जाये, बशर्ते कि कोई अन्य कारण विरुद्ध न दीख पड़ रहे हों। इस फैसलेका परिणाम यह निकलता है कि अगर कोई भारतीय अपनी स्त्रीको साथ ले जाये और उसे प्रवासी अधिकारी प्रविष्ट न होने दे तो वे दोनों जहाजसे उतरने के पश्चात् आपसमें विवाह कर सकते है। विवाहके

१. सर जॉन रॉबिन्सन (१८३९-१९०३); नेटाल के प्रधान मन्त्री और उपनिवेश सचिव, १८९३-९७ ।