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१०७. पत्र : प्रवासी-अधिकारीको

[जोहानिसबर्ग
अगस्त १०, १९१३]

प्रवासी-अधिकारी

प्रिटोरिया

महोदय,

मुझे पता चला है कि गत सप्ताह पुरुषोत्तम मावजी नामके एक भारतीयसे, भारतको जाते समय, उनका पंजीयन-प्रमाणपत्र वापस ले लिया गया था। यह प्रमाण-पत्र उन्होंने १९०८ के अधिनियम ३६ के अन्तर्गत प्राप्त किया था। क्या आप कृपा करके मुझे यह सूचित करेंगे कि मुझे जो जानकारी मिली है वह सही है या नहीं; और यदि सही है तो श्री पुरुषोत्तम मावजीसे नये अधिनियमके किस खण्डके अन्तर्गत उनका प्रमाणपत्र वापस लिया गया है ?'

आपका आज्ञाकारी सेवक

गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५८५४) की फोटो-नकलसे।

१०८. तार : गृह-सचिवको

[जोहानिसबर्ग]
अगस्त ११,१९१३

पिछले सप्ताह श्री लेनको लिखा। पता चला कि वे छुट्टीपर है। कृपया तसदीक करके तार दें कि क्या अब जनरल स्मट्स मेरे प्रस्तावोंपर विचार कर सकेंगे। जरूरत हुई तो उनसे मुलाकात करने आ जाऊँगा। तार फीनिक्स दें।

[गांधी]

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १३-९-१९१३

१.१५ अगस्तके तारमें एशियाई पंजीयकने गांधीजीसे तार करके पूछा कि पुरुषोत्तमका पंजीयन प्रमाणपत्र किस जगह और किसने वापस लिया था । देखिए " नये कानूनका एक असर", पृष्ठ १५५ और "पत्र: एशियाई पंजीयकको", पृष्ठ १७३ भी।

२. यह पत्र उपलब्ध नहीं है।

३. उत्तरमें तार और उसके बाद एक पत्र भेजा गया था । देखिए परिशिष्ट ८ ।