पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/१८२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


उसके बलपर जब हम चाहेंगे, सत्याग्रह संघर्ष भी आसानीसे आरम्भ कर सकेंगे। मैंने आपको आर्थिक स्थिति बता दी है, किन्तु आपको इससे चिन्तित होनेकी आवश्यकता नहीं है। यदि आप कुछ कर सकें, तो करें। यदि न कर सकें तो मैं कोई-न-कोई व्यवस्था कर लूंगा। अभी हमारे पास बैंकमें जेवर जमा है जो हमें भेंटमें मिले थे। यदि आवश्यकता हुई तो मैं उन्हें भी काममें लाने में नहीं झिझकूँगा।

सबको प्यार।

हृदयसे आपका
भाई

[पुनश्चः]

आप विनियमोंसे सम्बन्धित टिप्पणियाँ पढ़ लें। फिरसे आन्दोलन आरम्भ होनेपर आप उसका उपयोग कर सके, इस दृष्टिसे मैंने सिनेटकी बहस उद्धृत कर दी है। इससे फिशरकी साख बिलकुल उठ जाती है।

गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल अंग्रेजी प्रति (सी० डब्ल्यू. ९३०) से।

१०४. आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-३१]

११. दुर्घटनाएँ: जलना

किसी मनुष्यके कपड़े आदिमें आग लग जानेपर हम घबरा जाते हैं। यह तो जलेपर और दागने-जैसी बात है। जले हुए व्यक्तिको मदद पहुंचानेके बदले हम उसे घोर यन्त्रणा पहुंचाते हैं। अतः यह जान लेना हमारा फर्ज है कि आगसे जले हुए मनुष्यका किस ढंगसे उपचार किया जाये।

यदि वस्त्र आग पकड़ ले तो स्वयं उस व्यक्तिको घबराना नहीं चाहिए बल्कि जलता छोर झटपट हाथोंमें लेकर उसे मसलकर बुझा देना चाहिए। यदि सारे वस्त्रोंने आग पकड़ ली हो तो तत्काल धूलमें लोटने लगना चाहिए या शतरंजी आदि कोई मोटा वस्त्र उसे तुरन्त लपेट लेना चाहिए। पानी हो तो पानी उड़ेल लेना चाहिए। आगके बुझते ही सर्वप्रथम यह देखना चाहिए कि शरीर जला है या नहीं। जहाँ जला हो, सम्भव है, वहाँ कपड़ा चिपक गया हो। इसे खींचकर हटाना नहीं चाहिए बल्कि जहाँ कपड़ा चिपका हो उतना स्थान छोड़कर बाकी कपड़ा कैचीसे काटकर अलग कर देना चाहिए -- ऐसी सावधानीसे कि चमड़ी न खिचे। इसके बाद झटपट साफ मिट्टी जुटाई जाये और उसमें ठंडा पानी मिलाकर उसका लेप तैयार करके मिट्टीकी पट्टी चढ़ाई जाये। यह करते ही जलन एकदम ठंडी पड़ जायेगी और रोगीका दर्द घट जायेगा। कपड़ा यदि चिपका रह गया है तो भी पट्टी बाँधने में कोई हर्ज नहीं है। मिट्टीकी पट्टी सूखते ही बदल दी जाये। ठडे जलके प्रयोगसे डरनेका कोई कारण नहीं है।

१. गांधीजीने प्राप्त उपहारों और दानमें मिले आभूषणोंसे १९०१ में एक न्यास स्थापित किया था। यहाँ तात्पर्य उसीसे है।