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१०२. तार : गो० कृ० गोखलेको

डर्बन
जुलाई २९, १९१३

गोखले

लन्दन

औद्योगिक संकटसे समझौतेकी बातचीतकी प्रगति रुकी।

गांधी

मल अंग्रेजी प्रति (सी० डब्ल्यू. ४८४४) की फोटो-नकलसे।

१०३. पत्र: एच० एस० एल० पोलकको

[जोहानिसबर्ग
अगस्त १, १९१३]

प्रिय हेनरी,

देखता हूँ, आपने काममें तनिक भी ढील नहीं आने दी है। आप बड़ी चतुराईके साथ अपना अभीष्ट उत्तर तो हासिल कर ही चुके हैं। जान पड़ता है, रायटरके तारमें भी आपका हाथ है। मुझे इस सबसे आश्चर्य नहीं होता। आप अपने कार्यमें बिलकुल तन्मय हो सकते हैं, इसका मुझे इतनी बार अनुभव हुआ है कि मैं इसका आदी हो गया हूँ।

यहाँकी हड़तालसे सारे काम ठप हो गये हैं। फिलहाल मन्त्रिमण्डलसे हमारे लिए कुछ अपेक्षा करना व्यर्थ है। किन्तु जब भी बातचीत शुरू होगी, उसपर आप वहाँ जो काम कर रहे हैं उसका प्रभाव पड़े बिना नहीं रहेगा।

मेरे पास मुश्किलसे १५० पौंड बचे हैं। समझमें नहीं आता, परेशानीकी यह लम्बी अवधि कैसे कटेगी। संघर्ष आरम्भ हो जानेपर तो निधिको चिन्तासे मुक्त हो जायेंगे, क्योंकि तब [परिवारोंका] निर्वाह माँग-जाँच कर हो जायेगा। किन्तु अनिश्चयकी इस अवस्थामें बहुत कठिनाई हो रही है। यदि श्री गोखले स्वस्थ हों, तो आप स्थितिके सम्बन्धमें उनसे बातचीत करें। हम सार्वजनिक अपील तो किसी भी अवस्थामें नहीं करना चाहते। कोई गुप्तदानी सारी दिक्कत दूर सकता है। किन्तु आप अपनी बुद्धिसे, जो मुनासिब हो, करें। यदि कोई दानी हो तो उसे बता दीजिए कि वह कुछ देगा उसका उपयोग कष्टमें पड़े परिवारोंके लिए नहीं, बल्कि मुझे निश्चिन्त भावसे काममें लगे रहने और हमने अपने ऊपर जो दायित्व ले रखें हैं उनका कुछ ज्यादा आसानीसे निर्वाह करनेकी सुविधा प्रदान करनेके लिए किया जायेगा। इसके अलावा,

१२-१०