पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/१८

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पाठकों को सूचना विभिन्न अधिकारियोंको लिखे गये प्रार्थनापत्र और निवेदन, अखबारोंको भेजे गये पत्र और सभाओं में स्वीकृत प्रस्ताव, जो इस खण्ड में सम्मिलित किये गये हैं, उनको गांधीजीका लिखा माननेके कारण वे ही हैं जिनका हवाला खण्ड १की भूमिका में दिया जा चुका है। जहाँ किसी लेखको सम्मिलित करनेके विशेष कारण हैं वहाँ वे पाद-टिप्पणी में बता दिये गये हैं । 'इंडियन ओपिनियन में प्रकाशित गांधीजीके वे लेख जो लेखकका नाम दिये बिना छापे गये हैं, उनके 'आत्मकथा' सम्बन्धी लेखोंके सामान्य साक्षी, उनके सहयोगी श्री छगनलाल गांधी और हेनरी एस० एल० पोलककी सम्मति और अन्य उपलब्ध प्रमाणोंके आधारपर पहचाने गये हैं । अंग्रेजी और गुजरातीसे अनुवादको मूलके समीप रखनेका पूरा प्रयत्न किया गया है, किन्तु साथ ही अनुवादकी भाषा सुपाठ्य बनानेका भी पूरा ध्यान रखा गया है। अनुवाद छापेकी स्पष्ट भूलें सुधारनेके बाद किया गया है और मूलमें प्रयुक्त शब्दोंके • संक्षिप्त रूप यथासम्भव पूरे करके दिये गये हैं। यह ध्यान रखा गया है कि नामोंको सामान्यतः जैसा बोला जाता है वैसा ही रखा जाये। जिन नामोंके उच्चारण संदिग्ध हैं उनको वैसा ही लिखा गया है जैसा गांधीजीने अपने गुजराती लेखों में लिखा था । मूल 'सामग्री के बीच में चौकोर कोष्ठकों में दी गई सामग्री सम्पादकीय है। गांधीजीने किसी लेख, भाषण, वक्तव्य आदिका जो अंश मूलरूपमें उद्धृत किया है वह हाशिया छोड़कर गहरी स्याही में छापा गया है, किन्तु यदि ऐसा कोई अंश उन्होंने अनूदित करके दिया है, तो उसका हिन्दी अनुवाद हाशिया छोड़ कर, साधारण टाइपमें छापा गया है । भाषणों की परोक्ष रिपोर्ट, न्यायालयोंकी कार्यवाहियाँ तथा वे शब्द, जो गांधीजी के कहे हुए नहीं हैं, बिना हाशिया छोड़े गहरी स्याही में छापे गये हैं । शीर्षककी लेखन- तिथि जहाँ उपलब्ध है या जहाँ उसके बारेमें निर्णय किया जा सका है, वहाँ दायें कोने में दे दी गई है; किन्तु जहाँ वह उपलब्ध नहीं है वहाँ उसकी पूर्ति अनुमानसे चौकोर कोष्ठों में की गई है और आवश्यक हुआ है, उसका कारण स्पष्ट कर दिया है । हिन्दी और गुजराती पत्रोंमें जहाँ तिथि विक्रम संवत् के अनुसार दी गई है वहाँ ग्रेगोरियन पंचांगकी तदनुरूप तिथि भी दे दी गई है; कहीं-कहीं आन्त- रिक या बाह्य साक्ष्यपर वर्षका निर्णय किया गया है। शीर्षकके अन्त में सूत्रके साथ दी गई तिथि प्रकाशनकी है । 'सत्यना प्रयोगो अथवा आत्मकथा' और 'दक्षिण आफ्रिकाना सत्याग्रहनो इतिहास' के अनेक संस्करण होनेसे उनकी पृष्ठ संख्याएँ भिन्न हैं; इसलिए हवाला देनेमें केवल उनके भाग और अध्यायका ही उल्लेख किया गया ह