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नया प्रवासी विधेषक


आया जो भय उत्पन्न करता हो। विनियमोंका विशेष अध्ययन करके और अच्छी तरहसे अर्थ समझनेके बाद हम समाजको और भी सलाह दे सकेंगे।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १९-७-१९१३

९६. नया प्रवासी विधेयक

आपत्तिजनक धाराएँ

श्री गांधी जोहानिसबर्गसे लौट आये हैं। जनरल स्मट्सने उनके नाम एक सन्देश भेजा है; उसमें उन्होंने कहा है कि फिलहाल रेलवेमें काम करनेवाले गोरे मजदूर जो हलचल कर रहे हैं उसके कारण उन्हें बिलकुल अवकाश नहीं मिल पाता। उसके कुछ शान्त होने पर वे इस विधेयककी ओर ध्यान देंगे। इस विधेयकमें जिन मुद्दोंपर फैसला होना बाकी है, वे नीचे दिये जा रहे हैं :

१. जो गिरमिटिया मजदूर १८९५के बाद आये हैं, गिरमिटकी मीयाद पूरी होने के पश्चात्, यहाँ [नेटालमें] रहनेका उनका अधिकार डूबता दीख पड़ रहा है।

२. दक्षिण आफ्रिकामें जन्मे सभी भारतीयोंको केपमें किसी भी समय प्रवेश करनेका जो हक अभीतक हासिल था सो छिनता नजर आ रहा है।

३. भारतीयोंके दक्षिण आफ्रिकामें हुए विवाह वैध माने जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त, विधेयकमें आये हुए “एक-पत्नीक" शब्दका अर्थ सरकार द्वारा यह न लगाया जाना चाहिए कि यहाँ आनेवाली स्त्री भारतमें अपने पतिकी एकमात्र पत्नी है। जबतक उस व्यक्तिकी दक्षिण आफ्रिकामें दूसरी पत्नी न हो तबतक उस आनेवाली स्त्रीके दाखिल होने में अड़चन नहीं होनी चाहिए और फिर जो व्यक्ति दक्षिण आफ्रिकामें असेंसे बसे हुए हैं और जिनके देशमें या यहाँ दो पत्नियाँ हैं, उन दोनों पत्नियोंको [दक्षिण आफ्रिकामें] आने तथा वहाँसे जानेका अधिकार मिलना चाहिए।

४. नये प्रवासीके रूप में, [ऑरेंज] फ्री स्टेटमें प्रवेश करनेवाले भारतीयसे वहाँ लिया जानेवाला ज्ञापन तलब नहीं किया जाना चाहिए।

५. चालू वर्ष में जिन भारतीयोंको प्रवेश करनेकी परवानगी मिलनी चाहिए उनके सम्बन्धमें भी निर्णय हो जाना चाहिए।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १९-७-१९१३