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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


यह "बाथ" लेने से शरीर-बल में वृद्धि होगी, कान्ति निखरेगी और प्रसव-कालमें वेदना बहुत ही कम होगी। अनेक स्त्रियोंका ऐसा ही अनुभव है। रुचि-अरुचिकी इस प्रवृत्तिके समय मनपर अंकुश भी रखना चाहिए। एकाध बार यदि किसी वस्तुपर मन दौड़े तो उसको एकाध बार टाल देनसे उसे भुलाया जा सकता है। माता और पिताको हर क्षण उदर-स्थित बालकका ही विचार करना चाहिए।

पतिका यह कर्तव्य है कि इस काल में स्त्रीके साथ झगड़ा-फसाद करके उसे घबराहट में न डाले। वह उसे बराबर सुखी और प्रसन्न रखनेका प्रयत्न करे । यदि काम-काजका बोझ अधिक हो तो पतिको चाहिए कि वह उसे कम करनेका प्रयत्न करे। अत्यन्त आवश्यक है कि कुछ समय रोज खुली हवा में घूमने जाया जाये। गर्भावस्थाके समय माँके पेट में कोई भी दवा न जाये, इस बातका ध्यान रखना चाहिए।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १२-७-१९१३

९४. पत्र: गो० कृ० गोखलेको

"माउन्टेन व्यू"
[जोहानिसबर्ग]
जुलाई १२, १९१३

प्रिय श्री गोखले,

मुझे आशा है, आपको मेरा भेजा हुआ तार[१] यथासमय मिल गया होगा। चूंकि समझौता अनिश्चित था, और आपके तार जरूरी थे इसलिए आपके पास पोलकको भेजना ही सर्वोत्तम समझा गया। यह पत्र लिखते समय तक जनरल स्मट्ससे कोई निश्चित सूचना नहीं मिली है। मेरे एक निजी पत्रके[२] उत्तर में उनके सचिवने एक तार दिया है कि संकटके कारण जनरल स्मट्सको मेरे उठाये हुए मुट्टोंपर विचार करनेका अवकाश नहीं है। मन्त्रिमण्डलमें आन्तरिक मतभेद भी है।

समझौता होनेकी अवस्थामें मैंने पोलकको यह सुझाव दिया है कि वे अपनी सेवाएँ पूरी तरह आपको अर्पित कर दें। यदि आप उनसे अपने सचिवका काम ले सकें तो मैं जानता हूँ कि वे इसमें अपने को सम्मानित अनुभव करेंगे और उन्हें इस कामके लिए मुक्त किया जा सकता है। यदि आपका खयाल हो कि उन्हें लन्दन-समितिका मन्त्री बनाया जाये, तो आप उनकी नियुक्ति उस रूपमें कर दें।

उनके खर्च के सम्बन्ध में स्थिति यह है। श्री रुस्तमजीने उनके प्रारम्भिक व्ययके लिए लगभग २५० पौंड दिये है। मैं उनका माहवारी खर्च, मेरे पास अब भी जो थोड़ा-सा पैसा बचा है, उसमें से दे रहा हूँ। श्रीमती पोलकके खर्च और श्री पोलकके

  1. १. देखिए तार : गो० कृ० गोखलेको", पृष्ठ ११३-११४ ।
  2. २. यह उपलब्ध नहीं है।