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९२. जोहानिसबर्गमें उपद्रव

हड़तालका इतिहास

जोहानिसबर्ग में सोनेकी खानोंके क्षेत्रमें गोरे मजदूरोंने एक बहुत बड़ी हड़ताल की। ऐसी हड़ताल पहले कभी देखने में नहीं आई। यह सोमवारको समाप्त हुई। उसमें लगभग ४०,००० मजदूरोंने काम करना बन्द कर दिया था। ऐसा कहा जा सकता है कि कारण बिलकुल तुच्छ था; राईका पहाड़ बन गया। एक खानमें चालीस नये मजदूरोंकी नियुक्ति की गई थी। मालिकोंने इन नये मजदूरोंसे हर शनिवार पन्द्रह मिनट अधिक काम करने के लिए कहा। मजदूरोंने ऐसा करनेसे इनकार किया। मालिकोंने जिद की, जो सरासर भूल थी। आग भड़की। मजदूर-संघके मन्त्रीने नोटिस दिया कि अगर मजदूरोंसे पन्द्रह मिनट अधिक काम करने के लिए कहा गया तो मजदूर हड़ताल कर देंगे। यह मन्त्री खानमें नौकर नहीं था। उसके पत्रको कोई महत्त्व नहीं दिया गया। इससे मजदूर संघका अपमान हुआ। आगमें घी पड़ा। मजदूरोंने हड़ताल कर दी। अब मालिकोंकी समझमें आया। उन्होंने नये मजदूरोंको उनकी शर्तोपर वापस लेना स्वीकार किया। लेकिन बाजी हाथसे निकल चुकी थी। अब मजदूर क्यों कर मानते? मन्त्रीके अपमानको उन्होंने अपना अपमान समझा। आग और भड़की। दूसरी खानोंके मजदूर भी उसी संघके सदस्य थे। उन्होंने भी हड़ताल कर दी। एकके बाद एक करके सब खाने बन्द होने लगीं। जो कोई मजदूर कामपर जाता था उसे बलपूर्वक रोका जाता था। बेनोनीमें मजदूरोंने लूट-मार आरम्भ कर दी। मैनेजर आदिके घरों में आग लगा दी। बड़ी-बड़ी सभाएं हुईं। रोषपूर्ण भाषण दिये गये। सरकार सोई हुई थी। पुलिसकी भी व्यवस्था नहीं थी। जो थी, वह अपर्याप्त थी। इससे मजदूरोंका साहस बढ़ा। इसके लिए बहुत-से लोग सरकारको दोष देते हैं।

लपटें जोहानिसबर्ग तक पहुँची। शुक्रवारको हद हो गई। जान और माल खतरेमें पड़ गये। सरकारने समस्त दक्षिण आफ्रिकाकी पुलिसको बुलाया। इस बीच खून-खराबी तो होती ही रही। मजदूरोंकी आँखोंमें खून था। वे लाल पताका और बिल्ले धारण किये हुए थे। उन्होंने ट्रामों में काम करनेवाले व्यक्तियोंको डराया-धमकाया। अधिकारियोंने समझसे काम लिया और ट्रामें बन्द कर दी। मजदूरोंमें श्रीमती फिट्ज़जेराल्ड नामकी एक स्त्री है, वह सबसे आगे थी। पचास व्यक्तियोंकी एक टुकड़ी ले जाकर उसने दूकानदारोंको धमकाया और दूकानें बन्द करवा दी। जोहानिसबर्गका कारोबार बन्द हो गया। लोगोंने डरके मारे घरोंमें अनाज आदि इकट्ठा करना शुरू कर दिया। एक थैले कोयलेकी कीमत दस शिलिंग तक जा पहुंची।

बात यहीं तक सीमित न रही। रातको श्रीमती फिट्ज़जेराल्ड और उसके साथी रेलवे स्टेशनपर गये। स्टेशनके दरवाजे और खिड़कियाँ आदि तोड़ डाले। टिकिटघर और गोदामको जलाकर राख कर डाला। पुलिसकी परवाह न की। एक वतनी कर्मचारी उसमें जलकर मर गया। उसके पश्चात् यह टोली रातके लगभग नौ बजे