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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


दे दी जाये, और फिर ये अधिकारी सम्बन्धित लोगोंको उनके अपने-अपने धर्ममें विहित ढंगसे सम्पन्न विवाहोंके सम्बन्धमें जो प्रमाणपत्र दें उन्हें सही सबूत माना जाये।

नये कानूनमें किये गये विवाह-सम्बन्धी संशोधनके विषयमें मेरा खयाल है कि उससे केवल एक-पत्नीक विवाहोंको ही मान्यता मिलेगी, और मैं यह भी समझता हूँ कि अभी कानूनी तौरपर कुछ किया भी नहीं जा सकता। किन्तु, इस आशयका कोई आश्वासन दे देना आवश्यक है कि किसी भी भारतीय प्रवासीकी एक पत्नीको--यदि दक्षिण आफ्रिकामें उसकी कोई और पत्नी नहीं हो, भारतमें चाहे जितनी हो प्रवेश देने का जो प्रचलन है उसे जारी रखा जायेगा।

और तब सवाल रह जायेगा बहुपत्नीक विवाहका। मैं आपको बता चुका हूँ कि ऐसे मामले बहुत नहीं है, किन्तु जो भारतीय पहलेसे ही दक्षिण आफ्रिकामें बसे हुए हैं उनकी एकाधिक पत्नियोंको प्रवेश देना आवश्यक है। नये बहुपत्नीक विवाहोंको प्रशासनिक मान्यता देनेकी कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसे लोगोंकी एक सूची आसानीसे तैयार की जा सकती है जिनके इस संघके भीतर या बाहर एकाधिक पत्नियां हैं। स्वभावतः मेरा यह कथन ऐसे विवाहोंसे उत्पन्न सन्तानोंपर भी लागू होता है। यह बता दूं कि सन् १९११के जुलाई महीनेमें जनरल स्मट्सने ऐसा आश्वासन दिया था कि बहुपत्नीक विवाहके विशिष्ट मामलोंपर सरकार विचार करेगी।

मैं समझता हूँ, अब मैंने वे सभी मुद्दे लिख डाले है जिनपर हमने बातचीत की थी। यदि आप ऐसा सोचते हों कि इसमें कुछ छूट गया है या मुझे इसमें कुछ और जोड़ना चाहिए तो कृपया वैसा सूचित करें। मुझे तो स्पष्ट दीख रहा है कि इस कठिनाईका हल बहुत आसान है, क्योंकि विवाहकी समस्याको छोड़कर अन्य सारी बातें संसद द्वारा कोई कानून बनाये बिना ही निबटाई जा सकती हैं।

यदि कोई निबटारा हो जाता है तो नये प्रवेशार्थियोंको प्रवेश देनेके तरीके तथा विभिन्न प्रान्तोंके लिए उनकी संख्यापर विचार करना आवश्यक होगा। अब में यह निवेदन करूँगा कि यदि मेरे सुझाव जनरल स्मट्सको स्वीकार्य हों तो आप कृपया मुझे टेलीफोन कर दें, ताकि मैं प्रिटोरिया आ सकू और समझौतेकी शर्तोंसे युक्त एक अन्तिम पत्र मुझे दिया जा सके। मैं यह निवेदन इस खयालसे कर रहा हूँ कि यदि मुझे कोई पत्र दिया गया और उसकी भाषा किसी स्थलपर सन्दिग्ध हुई तो उसके समाधानके लिए आगे पत्र-व्यवहार करना आवश्यक न हो। इसके अलावा उस अवसरपर नये प्रवेशाथियोंके प्रश्नपर भी विचार किया जा सकता है। मैं आपको इस बातका महत्त्व तो बता ही चुका हूँ। मुझे भरोसा है कि आप शीघ्र ही उत्तर देनेकी कृपा करेंगे।

मैं यह पत्र श्री प्रागजी देसाईके हाथों भेज रहा हूँ। आप जो सन्देश भेजना चाहें, इनकी मार्फत भेज सकते हैं। और यदि आप मुझसे टेलीफोनपर बातें करना

१. इंडियन ओपिनियनमें उन दिनों प्रकाशित एक समाचारसे ज्ञात होता है कि जोहानिसबर्ग में नागरिक अशान्तिके कारण जनरल स्मटसने कुछ दिनोंके लिए बातचीत स्थगित कर दी थी। फिर शान्ति स्थापित होनेपर अगस्त ११, १९१३ को गांधीजीने पत्र-व्यवहार प्रारम्भ किया ।

२. प्रागजी खंड्भाई देसाई, एक सत्याग्रही ।