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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


खर्चके लिए जो परिवारके यहाँ साथ रखनेके भत्तेको मिलाकर अनुमानतः एक हजार पौंड होगा भारतमें चन्दा किया जाये। यह चन्दा यहाँ कर पाना फिलहाल असम्भव है।

गांधी

मूल अंग्रेजी प्रति (सी० डब्ल्यू० ४८४३) की फोटो-नकलसे। सौजन्य : सर्वेट्स ऑफ़ इंडिया सोसायटी।

८६. आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-२६]

६. संक्रामक रोग [जारी] : शीतला-३

इस प्रकार शीतलाका विवेचन करते हुए हमने टीकेकी हानियाँ देखीं। अब यह समझ लेना जरूरी है कि इस रोगको रोक-थाम कैसे की जाये। जो मनुष्य इन प्रकरणोंमें बताये गये हवा, जल और खुराकके नियमोंका विवेकपूर्ण पालन करेगा उसे शीतला निकलनेकी कोई सम्भावना नहीं है। क्योंकि शीतलाके विषका प्रतिकार करनेकी ताकत तो उसके रक्त ही में होती है।

जिसे शीतला निकल आई हो उसके लिए गीली चादरकी लपेट (वेट शीट पैक) का प्रयोग बड़ा चमत्कारिक इलाज है। बीमारको कमसे-कम [दिनमें तीन बार गीली चादरमें सुलाना चाहिए। ऐसा करनेसे बीमारके शरीरको तीव्र उष्णता कम हो जायेगी और निकले हुए चेचकके दाने थोड़े ही दिनोंमें नरम पड़ जायेंगे। इन दानोंपर मरहम आदि लगानेको भी कोई जरूरत नहीं है। यदि शरीरमें ऐसे एक-दो स्थानपर ही शीतला हो, और वहाँ मिट्टीकी पट्टी रखी जा सकती हो तो रखी जानी चाहिए। खुराकमें रुचिके अनुसार चावल, नीबू और हलका ताजा मेवा लिया जाये। हलका मेवा" लिखनेका हेतु यह है कि जब शीतलाका दाह तेज हो तब खजूर, बादाम आदि पौष्टिक मेवे न लिये जाय। गीली चादरकी लपेटसे एक सप्ताहके भीतर दाने नरम पड़ने ही चाहिए। यदि वे नरम न पडें तो समझना चाहिए कि शरीरमें अभी विष बाकी है और वह निकल रहा है। शीतला कोई बड़ा भारी रोग है, यह माननेका कारण नहीं है। बल्कि वह तो शरीरमें भरे हुए रोगके बाहर निकलनेका और उसके परिणामस्वरूप उस हृदतक शरीरके दुरुस्त होनेका लक्षण-भर है।

यही मन्तव्य अनेक रोगोंपर लागू होता है। पर शीतला-जैसे रोगोंके लिए विशेष रूपसे उचित जान पड़ता है। बीमारियोंके हट जानेपर बीमार कमजोर हो जाता है और कितने ही रोगी बादमें भी किसी-न-किसी रोगसे पीड़ित रहते हैं। इसका कारण वह मूल बीमारी नहीं होती बल्कि बीमारीके लिए किये गये इलाज होते हैं। बुखारमें कुननके सेवनसे प्राय: कान बहरे हो जाते हैं। किसी-किसीको "क्विनिनिज्म नामका भयंकर रोग हो जाता है। व्यभिचारसे होनेवाले रोगोंको दूर करने के उपचारोंमें पारा आदि होते है और इससे जो रोग पैदा हो जाते हैं, उनसे रोगी सदाके लिए