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७८. वक्तव्य : तीन-पौंडी करके सम्बन्धमें[१]

[डर्बन
जून ११, १९१३ से पूर्व]

देखता हूँ, सरकार संसदसे यह कर केवल स्त्रियोंपर से हटानेको कहना चाहती है। स्पष्ट ही, इससे यह प्रकट होता है कि फिलहाल उसका इरादा इसे पुरुषोंपर से हटानेका नहीं है। श्री गोखले न्यूकैसिल, डंडी, मैरित्सबर्ग, डर्बन, इसीपिंगो और अन्य स्थानोंमें नेटालके अधिकांश लोकनायकोंसे मिले थे। मैं भी इन सब भेंटोंके समय उपस्थित था। और मुझे याद नहीं आता कि किसी भी व्यक्तिने इस करके पक्षमें कुछ कहा हो या इसके हटाये जानेपर आपत्ति की हो। श्री स्मट्सने हाल ही में संसदके नेटाली सदस्योंसे सलाह लेनेकी बात कही थी। इसलिए यदि अब यह कर पुरुषों और स्त्रियों, दोनोंपर से नहीं हटाया जाता, तो यही माना जायेगा कि नेटाली सदस्य उन्हें इस भारसे मुक्त नहीं देखना चाहते। मेरे विनम्र मतसे यह प्रश्न नेटालकी प्रतिष्ठाका प्रश्न है। मुझे ऐसे कई अवसर याद हैं जब उन्होंने टाउन हॉलमें इससे कम महत्त्वके प्रश्नोंको लेकर सभाएँ की हैं। जहाजोंके आने-जानेकी सुविधासे सम्पन्न अपना सुन्दर बन्दरगाह नेटालको बहुत प्रिय है। हमें विश्वास है कि उसे अपनी प्रतिष्ठा उससे भी ज्यादा प्यारी है। तब क्या डर्बनके लोक-सेवक टाउन हॉलमें सभा करके संसदसे इस अन्यायपूर्ण करको हटानेकी माँग न करेंगे? वे भारतीयोंकी आकांक्षाओं या इस प्रान्तमें मेरे देशभाइयोंके अस्तित्वके चाहे कितने भी विरोधी क्यों न हों, उन्हें चाहिए कि वे सम्मिलित रूपसे नेटालके यशकी रक्षाके निमित्त हमें वह न्याय दिलायें, जो हमें कब-का मिल चुकना था।

मुझे भारतीयोंकी उन दो विशाल सभाओंका भली-भाँति स्मरण है, जिनमें श्री गोखले बोले थे। इनमें से एक इसीपिंगोके लॉर्ड्स ग्राउंडमें हुई थी और दूसरी माउंट एजकम्बमें,[२] जहाँ श्री गोखले माननीय मार्शल कैम्बेलके अतिथि थे। श्री कैम्बेलकी जागीर (एस्टेट) में होनेवाली सभामें पूरे १०,००० गिरमिटिये और भूतपूर्व गिरमिटिये उपस्थित थे और लॉर्ड्स ग्राउंडमें ५,००० से अधिक। उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि चूंकि यूरोपीय लोगोंने इस करको हटाने के सम्बन्धमे श्री गोखलेके सम्मुख कोई विरोध नहीं प्रकट किया है इसलिए सम्भव है, यह कर जल्दी ही हटा लिया जाये। बादमें मन्त्रियोंसे मिलनेके उपरान्त उन्होंने घोषित किया कि उन्हें इस करको हटानेका आश्वासन मिल चुका है; और यह जानकारी इन हजारों अभागे स्त्री-पुरुषोंको दे दी गई। वेरुलमके एक व्यक्तिने यहाँतक विश्वास करनेकी “धृष्टता” दिखाई कि यह कर हटा ही दिया गया है; और वेरुलमके मजिस्ट्रेटने उसे इस अपराधमें कड़ी कैदकी

  1. १. यह १४-३-१९१३ के इंडियन ओपिनियनमें उद्धृत किया गया था ।
  2. २.देखिए खण्ड ११, पृष्ठ ४१० ।