पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/१२९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९३
आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-२२]


खर्च भी दिलाया गया। अपने सामने पेश होनेवाले उन अभागे व्यक्तियोंके कल्याणकी अपेक्षा मजिस्ट्रेटको अपना आदेश मनवानेकी ही अधिक चिन्ता थी। उसने अपने प्रतिहिंसापूर्ण निर्णयका कारण बतलाते हुए कहा कि मुनियनको यह सजा दूसरोंको सबक देनेके लिए ही दी गई है ताकि हुक्मकी तामील की जाये। श्री साँवर अपने उलटे स्वभावके आगे लाचार हैं और हमारा ख्याल है कि वे अब भी मजिस्ट्रेटके निर्णयको सही बताते हुए जांचके बारेमें अपनी टालमटोल करनेका समर्थन करेंगे।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-५-१९१३

७२. आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-२२]

४. बुखार और इसका इलाज

हम मुख्य-मुख्य उपचारोंके सम्बन्धमें चर्चा कर चुके हैं; अत: अब हम कुछ रोगोंके सम्बन्धमें भी विचार कर सकते है और ऐसा करते हुए हम उन उपचारोंकी चर्चा भी कर सकेंगे जिनके लिए अलहदा प्रकरण लिखनेकी जरूरत नहीं है।

बुखार शब्दका प्रयोग हम शरीरमें उठनेवाली किसी भी उष्णताके लिए कर लेते हैं, परन्तु अंग्रेजी डॉक्टरोंने उसके अनेक भेद किये हैं और बड़े-बड़े पोथे लिखकर अनावश्यक विस्तार किया है। अपनी लौकिक रूढ़िके और इन प्रकरणोंमें जैसा बतलाया गया है उसके अनुसार प्रायः सब प्रकारके बुखारों में एक-सा ही इलाज काम कर सकता है। साधारण बुखारसे लेकर प्लेगकी गिल्टीके बुखार तक में मैंने एक ही इलाज किया है और मेरा खयाल है, उसके परिणाम भी ठीक ही उतरे है, सन् १९०४ में आफ्रिकामें भारतीय समाजके बीच महामारी फूट निकली।[१] उसमें तेईस लोगोंपर रोगका आक्रमण हुआ। केवल चौबीस ही घण्टे में २१ व्यक्ति मर गये और केवल दोको प्लेगके अस्पताल तक पहुँचाया जा सका। इन दोमें से केवल एक ही जीवित रह सका और इसी मरीजपर मिट्टीके पुल्टिसका इलाज किया गया था। पर इतनेसे ही यह नहीं कहा जा सकता कि इस रोगीपर मिट्टीका ही असर हुआ। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि मिट्टीसे उसे कोई हानि नहीं हुई। इन बीमारोंके फेफड़ोंमें सूजन आई और बुखार आया। ये बेहोशीकी स्थितिमें थे। इनमें से एककी छातीपर मिट्टीकी पुल्टिस रखी गई थी। उसके कफमें खून आता था। अस्पतालमें ले जानेके बाद, डॉक्टरके बतलानेपर मुझे मालूम हुआ कि इस मरीजको पहले बहुत ही थोड़ी खुराक दी गई थी और सो भी केवल दूध ।

बुखारकी उत्पत्ति प्राय: पेटकी खराबीसे ही होती है। अत: सबसे पहला उपाय तो एकदम उपवास करना ही होना चाहिए। कमजोर या ज्वराक्रांत मनुष्य कुछ न

  1. १. देखिए खण्ड ४ पृष्ठ १६२-६७ ।