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पत्र: जमनादास गांधीको


छगनलाल या मगनलाल देंगे। तुम साथ रहो, ऐसा मैं चाहता तो हूँ। लेकिन हमेशा हमारा मनचाहा कैसे हो सकता है?

तुम्हारे पत्रका सवालोंवाला हिस्सा क्रमके अनुसार अंकित करके वापस भेजता रहा हूँ। इससे मुझे कुछ कम लिखना पड़ेगा और तुम [ मेरे उत्तर] ठीक-ठीक समझ सकोगे।

१. [यदि ईश्वरका अस्तित्व नहीं है तो फिर मोक्षका क्या मतलब?[१]]

यह कहना मोक्षका आशय न समझनेके बराबर है। हम मोक्षका पूरा अर्थ नहीं समझ सकते। उसका तो अनुभव ही करना होगा। उसका वर्णन भी नहीं किया जा सकता। वर्णन करनेके लिए हमारे पास योग्य इन्द्रिय नहीं है। जितना अर्थ समझा जा सकता है वह है, अनेक प्रकारके देहोंमें जन्म और उससे उत्पन्न होनेवाले क्लेशोंसे छुटकारा। फिर भी यह कहनकी जरूरत नहीं कि ईश्वर नहीं है। ईश्वरका अर्थ हम अपनी ज्ञानकी सीमाके अनुसार करते हैं।

ईश्वर न तो फल देनेवाला है और न वह कर्ता है। किन्तु यदि देहधारी आत्माओंके मुक्त होनेके बाद किसी एक ही आत्माकी कल्पना की जा सकती हो तो वह ईश्वर है। और वह जड़ वस्तु नहीं है बल्कि शुद्ध चेतन है। अद्वैतवादियोंकी भी यही मान्यता है। राजा-जैसे किसी सत्ताधारी ईश्वरकी कल्पना किसी भी कालमें और किसी भी स्थितिमें आवश्यक मालूम नहीं होती। उसकी आवश्यकता मानकर हम आत्माकी अनन्त शक्तिकी सीमा बाँधते है।

२. दूसरे शास्त्रोंका जैसा और जितना अनर्थ किया गया है वैसा ही और उतना ही बाइबलका भी किया गया है और किया जा रहा है। टॉल्स्टॉयपर दोष लगानेवाले अज्ञान है। मैरी कॉरेलीका[२] क्या हुआ था, उसके बारेमें मुझे कोई जानकारी नहीं है। किन्तु उसे जादूगरनी कहना अज्ञानमात्र है।

३. [ मैंने न गायको कभी मारा है न मारूँगा। फिर भी अगर कोई गाय मुझे मारने दौड़े और सो भी तब जब मैं उसके रास्तेमें भी नहीं हूँ तो फिर मुझे क्या करना चाहिए? और उसके मुझपर इस हमलेका सबब भी क्या हो सकता है ? ]

गायके हमें मारने आनेका कारण यह है कि हम गायसे और इसी प्रकार अन्य जीवोंसे डरते है। इसलिए इसमें दोष हमारा ही है। भयमात्र दोष है और जबतक यह दोष हममें है तबतक ऐसी व्याधियोंसे हम बच नहीं सकते। जबतक हम गायसे डरते है तबतक उचित यही होगा कि हम उसके रास्तेमें न आयें और यदि अनायास आ जायें तो हमें उसका आक्रमण सह लेना चाहिए। गायको मारकर हम उसका या अपना उपकार नहीं कर सकते।

४. [ यह कैसे कहा जा सकता है कि निर्भय वृत्तिसे गुफामें निवास करनेवाले साधु पुरुषको बाघ मार नहीं डालेगा? ]

प्रसंग आ जानेपर निर्भयतापूर्वक बाघकी गुफामें रहनेवालेको बाघ कभी नहीं खायेगा। उसकी गुफामें रहनेका प्रसंग कैसे आ सकता है, उस बातपर विचार करना चाहिए।

  1. १. प्रश्न महात्मा गांधोजीना पत्रो नामक पुस्तकसे दिये गये हैं ।
  2. २. (१८६४-१९२४) प्रसिद्ध उपन्यास-लेखिका ।