पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/१२३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८७
तार: गृह-मन्त्रीको


पक्षकों तार दे रहा हूँ। यह हायद केप टाइस्समें प्राप्य है। गृहमंत्रालयके पास पूरा पत्र्यवहार है। साम्राज्य सरकारकी ब्ल्यू बुक संख्या सी० डी० ५५७९ तारीख--मार्च १९११, विशेष रूपसे पृष्ठ सत्रह, भी देखें जिसमें श्री हरकोटंका दिया हुआ यह तार है कि ऐसा कोई भी हल जिससे केप कालोनी और नेटारलूमें भारतीयोंकी वर्तमान स्थितिको हानि पहुँचे या वह कमजोर हो महामहिमकी सरकारको स्वीकार नहीं होगा। श्री फिशरने मुझे तार दिया है जिसमें एक गैरमुमकिन बात कही है कि दक्षिण आफ़िकामे उत्पन्त भारतीयोंको केपमें मौजूदा केप अधिनियमके अन्‍्तगंत बिना परीक्षा दिये प्रवेशके वर्तमान अधिकारसे वंचित कर दिया जायेगा। -विवाह काजी और अन्य पुरोहितोंके द्वारा सम्पन्त, होते हँ--यह पर्याप्त रजिस्ट्रेशन है और विभित्त जातियोंके मुखियोंके प्रमाणपत्र सदेव प्रस्तुत कियो जा सकते हैं। भारतके मजिस्ट्रेटोंकी जैसे प्रमाणपत्र आप बताते हैं वैसे प्रमाणपत्र देनेका अधिकार नहीं है और न वे इसके लिए बाध्य हैं। एक ताजे मामलेमें बम्बईके एक मजिस्ट्रेटने उक्त कारणोंसे ऐसे प्रमाणपत्र देनेमें असमर्थता बताई । संशोधनर्में ऐसी ही साक्षी आवश्यक हो जो विवाहके देशरमे उपलब्ध और मान्य हो। द्रान्सवालके १८७१ के कानूनकी विवाह-सम्बन्नी धारा ऐसी है जिसका उल्लेख मेने पहले तारमें.किया है।'

गांधी

हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस० एत्त० ५८०६) की फोटो-नकलसे |

६८- तार : गृह-सन्त्रीको

[ फीनिक्स ]
मई ३०, १९१३

गुहामंत्री
केप टाउन

में मंत्री महोदयकों विस्तृत उत्तरके[१]लिए घन्यवाद देनेके साथ-साथ सादर यह बताना आवश्यक समझता हूँ कि अभीतक स्वीकृत संशोधनोंसे मुख्य प्रइ्न तय नहीं होते। मुझे विश्वास है कि विवाह-सम्बन्धी संशोधन बिलकुल निकम्मा है क्योंकि उसमें विवाहोंका पंजीयन करानेकी कठिन डर्त॑ आती है। इसलिए यदि सरकार पंजीयनवाली धाराको नहीं “निकाल सकती तो _संशोधनको वापस लेना ही ज्यादा ईमानदारीकी

  1. १. देखिए “ तार: खाश्तर और केम्बेल्को ”, पृष्ठ ८३-८४ ।