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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


मन्त्री महोदय द्वारा स्वीकृत कलका संशोधन काफी नहीं, क्योंकि इसमें धार्मिक रीतियोंसे विवाह करनेके अतिरिक्त पंजीयन करानेका भी विधान है। भारतमें विवाहोंको दर्ज करानेकी प्रथा नहीं है।

गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५७९२) की फोटो-नकलसे।

६१. तार : गृह-मन्त्रीको

[फीनिक्स]
मई २७, १९१३

गृह-मन्त्री
केप टाउन

मन्त्री महोदयका ध्यान १८७१के ट्रान्सवाल विवाह कानूनकी ओर दिलाता हूँ जो दक्षिण आफ्रिकाके बाहर सम्पन्न यूरोपीय विवाहको मान्यता देता है चाहे वे किसी विधिसे हुए हों। ऐसी ही व्यवस्थासे भारतीयोंकी मांग पूरी हो सकती है। नम्र निवेदन है कि भारती- योंकी मांग बहुपत्नीक-विवाहको कानूनी मान्यता देनेकी नहीं। जो संशोधन हुए उनसे १९०६ के केप कानून ३० के खण्ड ४ उपखण्ड च' अनुच्छेद 'क' के अन्तर्गत दक्षिण आफ्रिकामें जन्मे भारतीयोंके केपमें प्रवेश करने सम्बन्धी अधिकार सुरक्षित होते नहीं दिखते। और न तो फ्री स्टेटमें सैद्धान्तिक अधिकारकी समस्या दूर हुई दिखती है। अस्थायी समझौते में शामिल प्रश्न यदि तदनुसार सुलझाये बगैर छोड़े गये तो मन्त्री महोदयको नाराज करनेका खतरा उठाकर निवेदन है कि सत्याग्रह निश्चित है।[१]

गांधी

हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५७९३) की फोटो-नकलसे।

  1. १. मन्त्री महोदयने उसी दिन पत्रका उत्तर देते हुए लिखा कि भारतीय विवाहोंको मान्यता देने-वाला संशोधन सर डेविड हंटर तथा अन्य लोगोंके इस आश्वासनपर स्वीकार किया गया कि इससे भारतीयोंकी माँग बिलकुल पूरी हो जायेगी। केपके सवालको उन्होंने नया सवाल बताया और १९१२ के फरवरी महीनेके पत्र व्यवहारमें उल्लिखित आन्तरप्रान्तीय प्रवासकी समस्याके सम्बन्धमें कहा कि यह तो निबट गई है। फ्री स्टेट सम्बन्धी मुद्देके बारे में उन्होंने और अधिक जानकारी मांगी और यह आशा व्यक्त की कि भविष्यमें सत्याग्रहका जिक्र नहीं किया जायेगा।