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५८. तार : ड्रमंड चैपलिन और दूसरोंको

[फीनिक्स
मई २४, १९१३][१]

ड्रमंड चैपलिन
पैट्रिक डंकन
सर डेविड हंटर
थियो श्राइनर
माननीय मेरीमैन
मॉरिस अलेक्जेंडर
संसद-भवन
केप टाउन

मन्त्रीका यह वक्तव्य गलत है कि भारतीय बहुपत्नीक-विवाहको कानूनन मान्य करनेकी मांग करते हैं। भारतीयोंकी मांग केवल यह है कि भारत या दक्षिण आफ्रिकाम सम्पन्न गैर-ईसाई विवाहोंको कानूनी मान्यता हो । विवाह-अधिकारियोंकी नियुक्तिसे केवल भावी विवाह और सो. भी केवल दक्षिण आफ्रिकामें सम्पन्न विवाहोंका प्रश्न हल होगा। ट्रान्सवालके १८७१ के विवाह कानूनमें यूरोपमें हुए विवाहोंको, उनका रूप चाहे कुछ भी हो, खास तौरसे मान्यता दी गई है। भारतीय विवाहोंके सम्बन्धमें भी ऐसी व्यवस्थासे चल जायगा। इस तथ्यकी ओर भी ध्यान खींचें कि समितिमें पास संशोधनोंसे १९०६ के केप अधिनियम खण्ड ४ उपखण्ड 'च,' अनुच्छेद क'के अन्तर्गत दक्षिण आफ्रिकाम उत्पन्न भारतीयोंके केप प्रवेशके अधिकारोंकी रक्षा नहीं होती। उनसे फ्री-स्टेटके सैद्धान्तिक अधिकारकी कठिनाई भी दूर नहीं होती। निवेदन है यदि वर्तमान अधिकारोंमें हेरफेर हुआ या फ्री-स्टेटकी या विवाहोंकी कठिनाई हल नहीं होती तो सत्याग्रह अवश्य होगा।[२]

हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५७८४) की फोटो-नकलसे।

  1. १. गांधीजीने मार्शल कैम्बेलको २४ मईको जो तार भेजा था (देखिए अगला शीर्षक), उससे पता चलता है कि यह तार उसी दिन भेजा गया था ।
  2. २. इसके उत्तरमें पैट्रिक डंकनने मई २६ को निम्नलिखित तार दिया था: “ आपका तार मिला। गैर-ईसाई भारतीय विवाहोंको कानूनी मान्यता दे देनेपर बहुपत्नीक-विवाहोंको कानूनी मान्यता न देना मुश्किल हो जायेगा।"