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आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य शान [-२१]


तो आँखोंपर मिट्टीकी पट्टीसे वह बैठ जाता है। यदि मूढ़ मार लगी हो और सूजन आ गई हो तो इससे सूजन समाप्त हो जाती है। मैं स्वयं अनेक वर्षों तक फूटसॉल्ट आदि लेता था और तभी स्वस्थ रह पाता था। सन् १९०४में मिट्टीके अक्सीर गुणका मुझे पता चला। तबसे मैंने फूटसॉल्ट आदि जो छोड़ा सो फिर किसी दिन नहीं लेना पड़ा। जिसे बद्धकोष्ठ रहता हो उसके लिए तो पेडूपर मिट्टीकी पट्टी बड़ी गुणकारी सिद्ध होती है। पेटमें यदि दर्द हो तो मिट्टीकी पट्टी बाँधनेसे वह कम हो जाता है। अतिसार भी मिट्टी बाँधनेसे ठीक हो जाता है। तेज बुखारवालेके पेड़ और सरपर यदि मिट्टीकी पट्टी बाँधी जाये तो उसका बुखार एक-दो घंटे में ही कम हो जायेगा। फोड़े, खुजली और दाद आदिपर मिट्टीके लेपका अनेक बार बहुत अच्छा असर होता है। फोड़ोंसे मवाद निकल जानेके बाद मिट्टीके उपयोगसे अधिक लाभ देखने में नहीं आता। आगसे जले हुए स्थानपर तुरन्त मिट्टीका लेप लगा देने से जलन कम पड़ जाती है और छाला नहीं उठ पाता। बवासीरवालेको भी मिट्टीकी पट्टीसे लाभ होता है। बरफ पड़नेके कारण अनेक बार हाथ-पाँव . लाल सुर्ख हो जाते हैं और उनपर सूजन आ जाती है। इनपर तो मिट्टीकी पट्टी अपना असर किये बिना नहीं रहती। एक्जिमापर भी मिट्टी गुणकारी साबित हुई है और शरीरके जोड़ोंके दर्द में मिट्टीके प्रयोगसे तुरन्त फायदा होता है।

इस प्रकार मिट्टीके अनेक अनुभूत प्रयोगोंके आधारपर मैने घरेलू उपचारके तौरपर मिट्टीको एक अमूल्य वस्तु पाया है।

यह बात नहीं है कि सभी प्रकारकी मिट्टी एक-सा गुण करनेवाली हो। लाल मिट्टी अधिक गुणकारी साबित हुई है। मिट्टी हमेशा अच्छे स्थानसे ही खोद कर लेनी चाहिए। जिस मिट्टी में गोबर आदि मिला हो उसे काममें नहीं लेना चाहिए। मिट्टी अधिक चिकनी भी नहीं होनी चाहिए। कुछ चिकनी और कुछ दरदरी मिट्टी ही अच्छी होती है। उसमें घास-फूस, जड़ें आदि नहीं होनी चाहिए। अनेक बार मिट्टीको बारीक छलनीसे छान लेना उपयोगी होता है। मिट्टी हमेशा ठंडे पानीमें ही भिगोई जाये। रोटीके लिए आटा जितना सख्त गूंधा जाता है, मिट्टी भी उतनी ही सख्त रखनी चाहिए और ज्यादातर किसी महीन वस्त्रमें बाँधकर जिस हिस्सेपर जरूरत हो, उसपर रखना चाहिए; ध्यान रहे कि वस्त्र फटा न हो। मिट्टीके शरीरपर सूख जानेके पहले उसे हटा लेना चाहिए। साधारण तौरपर एक पट्टी दोसे तीन घंटे तक चलती है। एक बार काममें ली गई मिट्टी दुबारा काममें नहीं ली जानी चाहिए। एक बार काममें लिया हुआ कपड़ा अवश्य फिरसे घोकर काममें लिया जा सकता है, बशर्ते कि उसमें पीब आदि न लगा रहे। मिट्टी पेड़पर रखी गई हो तो पट्टीके ऊपर एक गर्म वस्त्र डालकर उसपर फिर एक पट्टी बाँध देनी चाहिए। प्रत्येक मनुष्यको एक डिब्बे में मिट्टी भरकर रख लेनी चाहिए जिससे आवश्यकता पड़नेपर उसका उपयोग किया जा सके और ऐन वक्तपर मिट्टीकी तलाश न करनी पड़े। बिच्छूके डंक आदिपर तो मिट्टी जितनी जल्दी रखी जा सके उतना ही शीघ्र लाभ करती है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २४-५-१९१३