पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/११४

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

५७. आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-२१]

३. मिट्टीका इलाज

हमने जल-चिकित्साके सम्बन्धमें थोड़ी जानकारी हासिल की। जलके इन उपचारोंकी अपेक्षा मिट्टीका इलाज अनेक बातोंमें अधिक चमत्कारपूर्ण पाया गया है। अपने शरीरका एक बड़ा भाग मिट्टीका ही बना हुआ है। अत: मिट्टीका हमपर असर हो, इसमें आश्चर्यकी कोई बात नहीं है। मिट्टीको प्रायः सभी लोग पवित्र मानते हैं। दुगंधको दूर करने के लिए हम मिट्टीसे जमीन लीपते है; सडाँधपर मिट्टी डालते हैं। यदि हाथ गंदे हों तो मिट्टीसे धोकर पवित्र करते हैं, और गुह्य भागोंको भी मिट्टीसे धोते हैं। साधु-संन्यासी तो शरीरपर मिट्टीका लेप ही किये रहते हैं। इस देशके आदिवासी फोड़े-फुसियोंपर मिट्टीका उपयोग करते हैं। पानीको साफ करनेके लिए भी हम उसे रेती या मिट्टीसे निथारते हैं। अन्तमें मुर्दे भी मिट्टी में दफनाये जाते हैं ताकि हवा खराब न होने पाये। मिट्टीकी ऐसी जग-जाहिर महिमा हम प्रत्यक्ष देखते रहते हैं, और इसके आधारपर हम मोटे तौरपर अनुमान लगा सकते हैं कि मिट्टी में अनेक विशेषताएँ और उत्तम गुणोंकी सम्भावना है।

क्यूनीने जिस प्रकार जलके सम्बन्धमें बड़े चिन्तनके बाद बहुत-कुछ उपयोगी साहित्य लिखा है, ठीक उसी प्रकार जुस्ट नामक एक जर्मनने मिट्टीके सम्बन्धमें लिखा है। वे तो यहाँ तक कहते हैं मिट्टीके उपचारसे असाध्य रोग भी मिट सकते हैं। उन्होंने लिखा है कि एक बार उनके पासके एक गाँव में किसी मनुष्यको साँपने काट लिया। कई लोगोंने तो उसे मरा हुआ ही मान लिया, पर गाँवके किसी व्यक्तिने जुस्टकी सलाह लेने को कहा। और, लोगोंने उनकी सलाह ली। जुस्टने उस मनुष्यको मिट्टीमें दबा दिया और थोड़ी देरमें उसे होश आ गया। यह घटना असम्भव नहीं हो सकती। कोई कारण नहीं है कि जुस्ट गलत बात लिखें। मिट्टी में दबानेसे बहुतसी गर्मी मिट्टीने खींच ली होगी, यह तो स्पष्ट ही है। और मिट्टी में रहनेवाले अनेक अदृश्य कीटाणुओंने शरीरपर क्या कार्य किया होगा, इसे जान सकनेका तो हमारे पास कोई साधन नहीं है। पर यह तो प्रतीत होता है कि मिट्टी में जहर आदिको सोख लेने की शक्ति है। फिर भी कहनेका यह हेतु नहीं है कि चूंकि जुस्टने लिखा है, इसलिए सर्पदंशवाले सभी लोग मिट्टीके उपचारसे उठ खड़े होंगे। पर ऐसे प्रसंगपर मिट्टीका उपचार किया जाना जरूरी है। बर्र या बिच्छू आदिके डंकपर मिट्टीका प्रयोग करनेकी बात अधिक ग्राह्य होगी। इनके दंशपर तो मैने स्वयं भी आजमाइश की है और उससे तत्काल आराम होता जान पड़ा है। ऐसे मौकेपर ठंडे जलमें भिगोकर मिट्टीका गाढ़ा-गाढ़ा लेप कर दिया जाता है और उसपर पट्टी बाँध दी जाती है।

नीचे दिये जा रहे उदाहरण मेरे व्यक्तिगत अनुभवपर आधारित हैं। पेटकी मरोड़में पेटपर मिट्टीका लेप बाँधनेसे मरोड़ दो-तीन दिनमें ही चली गई है। सरके दर्द में भी मिट्टीकी पट्टी रखनेसे तत्काल आराम हुआ है। आँखोंमें कंकर चलता हो