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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं सविनय आशा करता हूँ कि मेरे संघ द्वारा अपनाई गई स्थिति अब स्पष्ट हो गई होगी।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २४-५-१९१३

५६. विधेयक

पिछले सोमवारसे समितिमें प्रवासी विधेयककी जैसी प्रगति हुई है उसपर से तो ऐसा जान पड़ता है कि वह देशका कानून बन जायेगा। श्री फिशरने श्री काछ लियाको लिखे अपने असन्तोषजनक पत्रके बावजूद अपने तौर-तरीकोंकी गलती समझ ली है। उस पत्रको हम इस अंकमें प्रकाशित कर रहे है। वस्तुत: उन्होंने स्वयं ही ऐसे संशोधन पेश किये हैं जिन्हें पेश करनेकी कोई इच्छा उन्होंने अपने तारों तथा अन्य' पत्र व्यवहारमें जाहिर नहीं की थी। इन संशोधनोंमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं : केप तथा नेटालके कानूनोंके अन्तर्गत आन्तरप्रान्तीय प्रवासके जो वर्तमान अधिकार हैं उनकी बहाली तथा स्थायी रूपसे यहाँ बसे हुए भारतीयोंके तीन वर्षकी अनुपस्थितिके बाद भी लौटनेके जिस अधिकारपर बन आई है, उसकी स्थापना। संशोधनोंका ठीकठीक असर क्या पड़ेगा, यह कहना तबतक असम्भव है जबतक कि उसका पूरा मसविदा हमारे सामने न हो।

श्री अलेक्जैडर, रंग-द्वेषके कारण जो मसले लोक-अप्रिय तथा उपेक्षित रहे हैं उनके समर्थनमें निःस्वार्थ-भाव और पूरे उत्साहसे आवाज उठाते रहे हैं। उन्होंने एक औचित्यपूर्ण संशोधन पेश किया जिससे विवाह कानून-सम्बन्धी हमारी माँगकी कदाचित पूर्ति हो जाती; पर उन्हें मन्त्री-महोदयसे संदिग्ध और भ्रम पैदा करनेवाला उत्तर मिला। श्री चैपलिनने एक सुविचारित भाषण द्वारा श्री अलेक्जेंडरका समर्थन किया । मन्त्री-महोदयने यह कहकर सदस्योंकी आँखोंमें धूल झोंक दी कि चूंकि हम लोग दक्षिण आफ्रिकामें बहुपत्नीक विवाहको मान्य कराना चाहते हैं इसलिए हमने विवाह-अधिकारीको स्वीकार करनेसे इनकार कर दिया है । यह पूर्ण रूपसे स्पष्ट हो गया है कि सर्ल-निर्णयके द्वारा प्रत्येक गैरईसाई भारतीय विवाहको, यदि उसका पंजीयन न कराया गया हो तो, अवैध करार दिया गया है। विवाह-अधिकारीकी नियुक्तिसे यह समस्या दूर नहीं होगी; हाँ, यदि भारतीयोंसे यह अपेक्षा की जाती हो कि वे वर्तमान विवाहोंका पंजीयन करायें और इस प्रकार प्रकारान्तरसे स्वीकार करें कि पंजीयनसे पूर्व ये विवाह अवैध थे तब तो बात दूसरी है। और यह एक ऐसी अपमानजनक स्थिति है जिसे कोई भी भारतीय स्वीकार नहीं करेगा। इस नियुक्तिसे भारतसे आनेवाली पत्नियोंकी दिक्कतें भी दूर नहीं होती। यूरोपीय विवाह यूरोपमें कैसे सम्पादित हुए हैं, इसकी परवाह न करते हुए उन्हें कानूनी मान्यता देनेकी व्यवस्था निम्नलिखित रूपसे की गई :

ऐसे सब विवाह, जो इस राज्यके बाहर ऐसे लोगोंके बीच हुए हों जिनमें से एक या दोनों विवाहके समय इस राज्यके निवासी न हों, मान्य होंगे और इस