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आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-२०]


बरकरार रखना अपनी अन्तरात्माके आदेशका पालन करना है और उसपर पूरी तरह अमल न कर पाना मानव-प्रकृतिकी दुर्बलताको स्वीकार करना है। इसलिए यदि सरकार ब्रिटिश संविधानके उस सिद्धान्तको ही छोड़ना चाहती है जिसपर स्वयं उसका अस्तित्व निर्भर है तो वह खुशीसे ऐसा करे। उस अवस्थामें "स्पष्ट व्यवहार "से काम लेने में वह असमर्थ रहेगी, इतना ही नहीं बल्कि अपने अस्तित्वकी जड़पर भी कुठाराघात करेगी। और सत्याग्रही, जो अब भी उस संविधानको सुन्दर कल्पनामें अपनी आस्था बनाये हुए हैं, उसे चरितार्थ करनेके लिए संघर्ष करनेको या उस संघर्षमें मर मिटनेको तैयार हैं।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १७-५-१९१३

५३. आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-२०]

२. जल-चिकित्सा (जारी)

अनेक प्रयोगोंके बाद क्यूनी नामक जर्मनने यह खोज की कि रोगों [को दूर करने] के लिए जलके कुछ विशेष प्रकारके उपचार बढ़ियासे-बढ़िया इलाज हैं। इस विषयपर उनकी पुस्तकोंका अनेक भाषाओंमें अनुवाद हो चुका है। भारतमें भी उसके अनुवाद हो चुके हैं। उसकी मान्यता यह है कि सारे रोगोंका मूल पेट है। यदि पेटमें [अनावश्यक] गर्मी हो तो बाहर शरीरमें फोड़े, वात या अन्य प्रकारके रोग फूट निकलते हैं अथवा बुखारके रूपमें बाहर निकल- कर वह गर्मी सारे शरीरको उत्तप्त कर देती है। क्यूनीसे पूर्वके लेखकोंने भी जल-चिकित्साके सम्बन्धमें बहुत लिखा है। 'जलके उपचार' नामक एक बहुत ही पुरानी पुस्तक भी है। पर क्यूनीके पूर्ववर्ती किसी [चिकित्सक ] ने भी रोगको एकतापर इतना जोर नहीं दिया। सम्पूर्ण रोगोंकी उत्पत्ति पेटके जरिये होती है, यह किसीने नहीं बताया। क्यूनीकी मान्यता पूरी तरह सही है, यह मान लेना हमारे लिए आवश्यक नहीं है और न इस सम्बन्धमें अधिक ऊहापोहमें पड़ना ही जरूरी है। पर इतना तो स्पष्ट ही प्रतीत होता है कि अनेक रोगोंके सम्बन्धमें क्यूनीके विचार और उपचार कारगर उतरते हैं। ऐसा हजारों लोगोंका अनुभव है। डर्बनके मजिस्ट्रेट स्व० श्री ट्राइटनको धनुर्वात हो गया था। वे अपंग बन चुके थे। उन्होंने अनेक डॉक्टरोंसे इलाज करवाया। किन्तु उन सबमें असफल होनेपर उन्हें किसीने क्यूनीके पास जानेकी सलाह दी। वहाँ जाकर वे रोगमुक्त हुए और फिर अनेक वर्षों तक डर्बनमें रहे। वे सदैव' लोगोंको क्यूनीके उपचारोंको आजमाकर देखनेकी सलाह दिया करते थे। नेटालमें स्वीटवाटर्स नामक स्टेशनके पास क्यूनीके उपचारोंका प्रयोग करनेवाली संस्था भी है। यह तो उसके प्रसारका एक छोटा-सा उदाहरण है। ऐसे अनेक उदाहरण देखने में आते हैं।