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पत्र: एल० डब्ल्यूल रिचको


लन्दन जानेके सम्बन्ध[१] मैं सुबह कुछ इस तरह सोच रहा था: शिष्टमण्डल लन्दनमें क्या करेगा? साम्राज्य-सम्मेलनमें तफसील नहीं, सामान्य सिद्धान्त तय किये जायेगे। यदि सत्याग्रह बन्द कर दिया जाये तो हमारे प्रश्नमें ज्यादातर तफसीलकी ही बातें रह जायेंगी। उपनिवेश-मन्त्रीके साथ मिलकर कुछ काम किया जा सकता है। किन्तु क्या ऐसा समय आ चुका है ? यहाँ क्या होता है, क्या इसकी प्रतीक्षा करना अधिक अच्छा न होगा? दूसरी ओर, क्या यह सम्भव नहीं है कि शिष्टमण्डल भेजनेसे स्वर्ण कानून-सम्बन्धी कार्रवाई आदिका जो खतरा है, वह रुक जाये?

इस प्रकार पक्ष और विपक्ष, दोनोंके समर्थनमें तर्क है। मुझे ऐसा लगता है कि यदि शिष्टमण्डल भेजना है तो हमें निम्न तार[२] देना चाहिए:

सत्याग्रह शायद बन्द हो जाये, फिर भी अन्य गम्भीर स्थानीय शिकायतें है,

विशेषतः स्वर्ण कानून के अन्तर्गत कार्रवाई करने की धमकी; साम्राज्य सम्मेलनके

अवसरपर एक छोटा शिष्टमण्डल भेजनेके सम्बन्धमें लॉर्ड ऍम्टहिलकी सम्मति तारसे भेजिए।

मेरी सम्मति यह है कि ऐसा तार तभी भेजा जाये जब भारतीय समाज स्वीकारात्मक उत्तर आ जानेपर शिष्टमण्डल भेजने के लिए तैयार हो।

अब रहीं तारीखें; सम्मेलन सोमवार, २२ मईको आरम्भ होगा। मैं अगले बुधवार, १९ अप्रैलको रवाना नहीं हो सकता; २६ अप्रैलको मुश्किल ही होगा। तब रह जाती है अन्तिम और एक-मात्र तारीख, तीन मई। उस रोज रवाना हों तो शिष्टमण्डल २० मईको लन्दन पहुँचेगा उसका सम्मेलनपर मुश्किलसे ही कोई प्रभाव पड़ेगा। २२ मई तो केवल औपचारिक काम-काजका दिन होगा।

केप टाउनसे एक पेनीकी भी आशा करना व्यर्थ है। यहाँके लोग समर्थन करेंगे। किन्तु उनके पास इस कार्यके लिए न आदमी है और न पैसा । डर्बनका मुझे कुछ पता नहीं है। यदि वहाँ पैसा मिल गया तो डर्बनके लोग अपना निजी प्रतिनिधि भेजना चाहेंगे। इसलिए अकेले ट्रान्सवालको पैसा जुटाना होगा, किन्तु काम सभीके लिए करना होगा।

मेरे मनका सहज निर्णय ऐसे शिष्टमण्डलके विरुद्ध है।

श्रीमती अर्नेस्ट कुमारी नडसेनके[३] पत्रके लिए चिन्तित हैं।

मैं श्री मैकिटायरको[४] पत्र लिखूंगा।

  1. देखिए "पत्र: एल० डब्ल्यू० रिचको", पृष्ठ ६ ।
  2. स्पष्ट ही लन्दनकी दक्षिण आफ्रिका विटिश भारतीय समितिको।
  3. जोहानिसबर्गकी एक महिला, जो कुछ भारतीय स्त्रियोंको प्रशिक्षित करनेकी जिम्मेदारी लेनेको तैयार थी।
  4. डब्ल्यू० जे० मैकिंटायर; स्कॉटलैंडके एक थिऑसफिस्ट और गांधीजीके मुंशी ।