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परिशिष्ट

सत्याग्रहियोंसे अभी हालमें जो समझौता हुआ है उसके सम्बन्धर्मे मन्त्रियोंको यह आशंका नहीं है कि उस समझौते की शर्तोंके अधीन भारतीयोंको जारी किये गये प्रमाणपत्रोंके वैधीकरणके सम्बन्धमें कोई कठिनाई उत्पन्न होगी । भारतीय नेताओंने स्वयं ऐसा कानून बनानेकी माँग नहीं की है और मन्त्रियोंकी रायमें संघकी किसी भावी सरकार की ओरसे कोई प्रश्न उठाये जानेकी भी सम्भावना नहीं है, क्योंकि उक्त प्रमाणपत्रोंकी संख्या सीमित है और ये सब कुछ ही अस में जारी किये जा चुकेंगे और ऐसे किसी भी प्रमाणपत्रको जो अधिकृत रूपसे जारी किया जा चुका हो, वापस लेने या उसे मान्य करनेसे इनकार करना किसी भी सरकारके लिए कानून सम्मत और सम्भव होते हुए भी अव्यावहारिक होगा । धारा ५ (छ) : दक्षिण आफ्रिकाके कानूनमें और पुरानी रूढ़ियोंमें बहुपत्नीक विवाह मान्य नहीं रहे हैं और मन्त्री महोदय विषेयकके मसविदेमें ऐसी सुविधाएँ देनेमें असमर्थ हैं जिनके फलस्वरूप दक्षिण आफ्रिका में वर्तमान स्थिति बदलती हो । धारा ५ (ज) : भारतीय नेताओंने, जिन्हें विधेयकका यह मसविदा दिखाया गया है, धारा ५ (ज) के वर्तमान रूपपर कोई आपत्ति नहीं की है; किन्तु यदि विधेयकको संसदमें पारित करते समय ऐसा प्रतीत हो कि गोरा " शब्द प्रयोगका विरोध किया जा रहा है, तो मन्त्री लोग संशोधनके प्रश्नपर विचार करनेके लिए तैयार हैं । दर धारा ६ और ७ : मन्त्री यह कहना चाहते हैं कि उपनिवेश मन्त्रीने इन धाराओंका जो अर्थ लगाया है, वह ठीक है । धारा ७ और २८ (२) : भारतीय नेताओंने धारा ३३ के उल्लेखपर कोई आपत्ति नहीं की है, बल्कि इसके विपरीत यह सूचित किया है कि वर्तमान रूपमें धारासे उन कठिनाइयोंका सन्तोषजनक हल निकलता दिखाई देता है जो इस मामलेमें अनुभव की गई हैं। मन्त्री फिर भी यह कहना चाहते हैं कि यह खण्ड जिस रूपमें बना है उस रूपमें पास हो सकेगा या नहीं यह बहुत कुछ ऑरेंज फ्री स्टेटके उन संसद सदस्योंके रुखपर निर्भर है जो इस परिच्छेदको व्यवस्थाओं में किसी भी प्रकारकी शिथिलता करनेके घोर विरोधी हैं ।

जे० सी० स्मट्स

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफिस रेकड्स : सी० ओ० ५५१/२५

परिशिष्ट १३

प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयक (१९१२) और ऑरेंज फ्री स्टेट संविधान के अंश

अबतक जिन कानूनोंके द्वारा संघके विभिन्न प्रान्तोंमें प्रवासको प्रतिबन्धित किया जाता रहा है उनके समेकन और संशोधन तथा एक संघीय प्रवासी विभागकी स्थापनाकी व्यवस्था करने और संघ में अथवा उसके किसी भी प्रान्त में प्रवासका नियमन करनेकी दृष्टिसे । गवर्नर-जनरल उचित समझे तो प्रवेशके किसी भी स्थानपर एक प्रवासी निकायकी नियुक्ति कर सकता है । उक्त निकायका काम निषिद्ध प्रवासी बताये गये व्यक्तिको संवमें प्रवेश देनेके प्रश्नपर मन्त्रीको सलाह देना होगा । साथ ही वह उसे प्रवेशसे सम्बन्धित अन्य बातोंमें भी सलाह देगा । ( खण्ड ३ ) ।

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