पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/५७७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
५३९
परिशिष्ट


भी जारी रहा । कैनेडा और आस्ट्रेलियामें भारतीय प्रवासी अपेक्षाकृत कम ही हैं और वे वहाँ अपने व्यापारिक कार्य से आये हैं । किन्तु दक्षिण आफ्रिकामें पिछली कई शताब्दियोंसे, उष्ण कटिबन्धीय आफ्रिकाके पूर्वी तटपर व्यापार करनेवाले व्यापारियोंके कुछ प्रतिनिधियोंके प्रवेशके अतिरिक्त, भारतीय ज्यादातर सरकारकी उस कार्रवाईके कारण पहुँचे हैं जो उसने नेटालकी यूरोपीय आवादीके एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण भागके कहनेसे और उसके लाभकी दृष्टिसे की थी ।

तब जहाँतक भारतीय आबादीके अस्तित्वका सम्बन्ध है, उपनिवेश भारतमें अशान्ति दूर करनेकी दिशामें बहुत-कुछ कर सकते हैं । इसके लिए वे ऐसी प्रशासनिक नीतिसे बचें जिससे यह प्रकट हो कि वे भारतीयोंको निकाल बाहर करना चाहते हैं या उनको दीन-हीन अवस्थामें पहुँचा देना चाहते हैं । दक्षिण आफ्रिकामें भारतीय मुख्यतः यूरोपीय व्यापारियोंसे होड़ करते हैं • जो प्रायः निम्न वर्गके यूरोपीय विदेशी हैं — और ब्रिटिश कोलम्बिया में उनकी होड़ विदेशोंसे आये गोरे मजदूरोंसे है । इसलिए इस आर्थिक होइसे समय-समयपर संघर्ष उत्पन्न होना स्वाभाविक है । किन्तु नेटालमें नगरपालिका अधि- कारियोंका भारतीय व्यापारियोंसे किया गया व्यवहार कभी-कभी बहुत अनुचित रहा है और अब भी परवाना देनेवाले निकायोंके विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपीलके द्वारा अपने व्यापारिक अधिकारके स्वामित्वको बचानेकी गुंजाइश केवल उन व्यक्तियोंको दी गई है जिनको पहलेसे व्यापारिक परवाने मिले हुए हैं । वर्तमान परवानोंको हस्तान्तरित करना या नये परवाने देना पूर्णत: नगरपालिका-अधिकारियोंके हाथोंमें है। नेटालमें कुछ कानून-निर्माणकी और ट्रान्सवालमें कुछ प्रशासनिक कार्रवाईकी योजनाओंसे भारतीयोंमें बहुत डर पैदा हो गया है और यह आशा की जाती है कि जब संघको यह सन्तोष हो जायेगा कि असीमित एशियाई प्रवासके विरुद्ध संरक्षणकी व्यवस्था की जा चुकी है, तब संघके निवासी भारतीयोंके साथ उदारताका व्यवहार करनेकी कृपा करेंगे ।

उदारतापूर्ण व्यवहारको किसी भी पद्धतिमें निम्नलिखित बातें सम्मिलित मानी जा सकती हैं :

(१) ऐसे कानून न बनाये जायें जिनका मन्शा परेशान करनेवाले विनियमोंके द्वारा सम्मानित व्यापारियोंसे आजीविकाके साधन छीने जानेका हो;

(२) सफाई सम्बन्धी कानून केवल सफाईकी आवश्यकताओं तक ही सीमित रखे जायें और ऐसे विनियम बनाये जाये जो भारतीय अधिवासियोंको परेशान करनेके अप्रत्यक्ष साधनके रूपमें उन कानूनोंका उपयोग करनेपर लगा सकें;

(३) शिक्षा-सम्बन्धी सुविधाएँ दी जायें । निःसन्देह इनके परिणामस्वरूप मिली-जुली प्राथमिक शालाओं में एशियाई और यूरोपीय बच्चोंका साथ-साथ पढ़ना लाजिमी नहीं है;

(४) यह निश्चय कर लिया जाये कि प्रवासी कानूनोंका उपयोग कानूनी वाक्छलका सहारा लेकर वैध निवासियोंको निर्वासित करने, या अधिवासी परिवारोंको भंग करने, या अस्थायी आगमन पासों (टेम्पोररी विज़िटिंग परमिटस) द्वारा निवासी भारतीयोंको जिन सम्बन्धियोंकी तत्काल आवश्यकता हो उनका अस्थायी प्रवेश अस्वीकृत करनेके लिए न किया जायेगा । (ऐसी एक घटना हुई है जब बेटेको अपने वापको अन्त्येष्टिमें भाग लेनेके लिए अनुमतिपत्र देनेसे इनकार कर दिया गया था । यह घटना ब्रिटिश कोलम्बियाकी बताई जाती है। ऐसी घटनासे उन लोगोंमें, जो अन्त्येष्टि सम्बन्धी रीतियोंको सर्वाधिक महत्व देते हैं, बहुत ही कटुता पैदा होगी ) ।

यह लगभग निश्चित है कि कैनेडा, आस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंडमें भारतीयोंकी कोई बड़ी आबादी कभी न होगी । इन उपनिवेशोंमें आदिवासियोंकी आबादी बहुत कम है और वह कुछ जगह घट रही है और उनकी आबादी कालान्तर में व्यवहारतः विशुद्ध यूरोपीय हो जायेगी। किन्तु दक्षिण आफ्रिकामें वतनी लोगोंकी संख्या ही गोरोंसे इतनी अधिक है कि अकुशल श्रम लगभग सदा वतनियोंके हाथोंमें रहेगा । इतना ही नहीं, बल्कि वहाँ एक छोटा एशियाई तत्व लगभग दो शताब्दीसे मौजूद है। केप कालोनीमें राज-काज