प्रत्येक पट्टा या उसका प्रत्यर्पण वैध होगा, यदि उसे गवर्नर-जनरल द्वारा निश्चित विनियमों के अनुसार परिषद् द्वारा रखी जानेवाली पंजी (रजिस्टर) में पंजीकृत किया गया हो ।
ऐसे प्रत्येक पट्टे या उसके प्रत्यर्पणपर तबादिला- शुल्क या टिकट-शुल्कसे सम्बन्धित किसी भी कानूनके अन्तर्गत अदा किया जानेवाला शुल्क ऐसे विनियमों द्वारा संविहित ढंगले अदा किया जायेगा और परिषद्इ स प्रकार अदा होनेवाले शुल्कका सारा ब्योरा वित्त-मंत्रीको देगी ।
सफाई, इत्यादि
७५. परिषद् समय-समयपर निम्नलिखित सभी प्रयोजनों या इनमें से किसी भी एकके लिए उप- नियमोंको रचना कर सकेगी या उनमें रद्दोबदल कर सकेगी;
(१२) चायघरों, कॉफीवरों, जलपानगृहों, होटलों, भोजनालयों, भोजन और ठहरनेकी व्यवस्थावाले आवासों और सभी दुग्धविक्रेताओं, डेरियों, दूधकी दूकानों, गोशालाओं, नानबाईंकी दूकानों, मांसकी दूकानों, और सभी फेक्टरियों और स्थानोंको जहाँ, भोज्य तथा पेय पदार्थ विक्रय या उपयोगके लिए बनाये या तैयार किये या बेचे जाते हैं, परवाने देने और उनको विनियमित करनेके लिए;
(१३) काफिरोंके भोजनालयोंको परवाने देने और उनको विनियमित करनेके लिए:
(१४) टेलेवालों और फेरीवालोंको परवाने देने और उनको विनियमित करनेके लिए; इस शर्तके साथ कि अपनी ही भूमिपर उगाई हुई केवल ताजी चीजोंको बेचनेवालोंको, ठेलेवालों या फेरीवालोंके लिए अपेक्षित परवाने नहीं लेने पड़ेंगे;
(१५) सार्वजनिक या निजी स्थानोंपर कपड़े धोनेका नियमन करने या रोकने और धुलाई के कामके लिए व्यक्तियोंको परवाने देनेके लिए;
एशियाई चायघर
८८. परिषद् समय-समय पर निम्नलिखित सभी प्रयोजनों या इनमें से किसी भी एकके लिए उप- नियमोंकी रचना कर सकेगी या उनमें रद्दोबदल कर सकेगी;
(६) एशियाई चायघरों या भोजनालयोंको विनियमित करने और उनको परवाने देनेके लिए ।
परवाने
९१. परिषद् नाटक-गृह, संगीत-भवन, सार्वजनिक भवन, नाचघर या आमोद-प्रमोदके किसी अन्य स्थान या मनुष्योंके उपयोगके लिए भोज्य या पेय वस्तुओंको बेचने, इस्तेमाल या तैयार करनेवाली दूकानों, या ठहरने तथा खानेकी व्यवस्थावाले किसी भी आवास या धुलाईका काम करनेवाली दुकानोंके लिए या फेरीवालों-ठेलेवालोंको इससे ठीक पहलेके खण्डमें उल्लिखित आधारों और निम्नलिखित सभी या इनमें से किसी भी एक आधारपर परवाने देनेसे इनकार कर सकती है : (क) कि प्रार्थी अच्छे चाल-चलनका सन्तोषप्रद प्रमाण पेश नहीं कर सका; (ख) जिसके लिए परवाना माँगा गया है उस स्थानमें या प्रार्थीके स्वामित्ववाले या उसके द्वारा अधिकृत उससे लगे हुए स्थानों में बहुधा बुरी चाल-चलनके लोगोंका आना-जाना रहता है; (ग) कि जिस स्थानके लिए परवाना माँगा गया है उसे मंजूर करनेसे पड़ोसके लोगोंको असुविधा या परेशानी होगी; (घ) कि ऐसा परवाना मंजूर करना लोक-हितके विरुद्ध होगा;
और परिषद् द्वारा परवाना देनेसे इनकार करनेके विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकेगी । _______________________________
१. सन् १९०५ में ही एक कानून पास करके सभी भारतीय होटल मालिकों के लिए परवाने लेना जरूरी बना दिया गया था; देखिए खण्ड ५, पृष्ठ २९ और ८४-८५ खण्ड ६, पृष्ठ ३३८-३९ और ३४५-४६; खण्ड ७, पृष्ठ ९१-९२ और ३२९ ।