है, और नया विधेयक पेश किया जाये, तबतक के लिए वे गांधीसे अस्थायी सुलह कर सकते हैं । साथ ही, यदि आप आग्रह करें तो वे अवश्य ही विधेयकका काम आगे बढ़ायेंगे, लेकिन उनके विचार से भारत सरकार वर्तमान विधेयकको इतना ज्यादा नापसन्द करती है कि उनके सुझाये कदमपर वह आपत्ति नहीं करेगी । लेकिन वे आपके विचार जानना चाहेंगे ।
इसमें जो विलम्ब होगा उसका मुझे खेद है, लेकिन इससे कम आपत्तिजनक कोई रास्ता मैं नहीं देख पाता ।
[ अंग्रेजीसे ]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स : सी० ओ० ५५१/१०
आपके अप्रैल १२ के प्राइवेट और व्यक्तिगत तारके संदर्भ में भारत सरकारकी राय ली जा रही है, और अपनी राय व्यक्त करनेसे पहले मैं उसकी राय जाननेको उत्सुक हूँ । मैं ऐसा मान रहा हूँ कि जे० सी० स्मट्सको इत्मीनान है कि वे गांधी द्वारा आन्दोलनका पुनरारम्भ रोक सकते हैं, और गांधी विरोधका आदर करते हुए यदि वे विधेयकको वापस लेते हैं तो उनके ऐसा करनेसे वे इस बातकी कोई सम्भावना नहीं मानते कि गांधीकी प्रतिष्ठा बढ़ने और उनके विश्वासको बल मिलनेसे कि वे संघ-सरकारको भी अपनी शर्तें माननेपर मजबूर कर सकते हैं - भविष्य में और अधिक
उत्पात खड़ा होगा | क्या जे० सी० स्मटस ऐसी स्थिति में है कि वे मान सके कि अगले वर्ष वे एक ऐसा विधेयक पेश कर सकेंगे जो गांधीको, जहाँतक दो-दो आपत्तिजनक मुद्दोंका सवाल है, वर्तमान विधेयककी अपेक्षा अधिक मान्य हो ? कृपया सूचित करें कि किस तारीख तक आपको मेरे विचार मालूम हो जाने चाहिए ।
[ अंग्रेजीसे ]
कलोनियल रेकर्ड्स : सी० ओ० ५५१/१० ।
....'मन्त्रियोंने एक ऐसे कानूनकी रचना की थी, जिसमें सभी प्रवासियोंके लिए संविधि द्वारा अनुमोदित एक समान परीक्षा अनिवार्य करनेके साथ-साथ प्रवासी अधिकारियोंको वैसे ही व्यापक अधिकार
प्रदान किये गये थे, जैसे कि इस समय आस्ट्रेलिया में प्राप्त हैं, और जिनके अधीन कुछ चन्द चुने हुए एशियाइयों - मुख्यत: शिक्षा-साध्य पेशोंके लोगों को छोड़कर सारे एशियाइयोंको संवमें प्रवेशसे वर्जित किया जा सकता था । तब एक कठिनाई उत्पन्न हुई कि ऐसे एशियाइयोंके संवमें आनेके बाद उन्हें औरेंज फ्री स्टेटमें प्रवेशका अधिकार हो या नहीं| ऑरेंज फ्री स्टेटके क्षेत्रोंसे निर्वाचित सभी संसद सदस्योंने किसी भी शिक्षित भारतीयको ऑरेंज फ्री स्टेटमें प्रवेशको अनुमति दिये जानेका एकमत होकर विरोध किया । ________________________________________ १. इस टिप्पणीके इससे पहलेवाले अनुच्छेद उपलब्ध नहीं हैं ।
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